समाजवादी पार्टी से गठबंधन टूटने के बाद से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यानी सुभासपा में भगदड़ मची हुई है। एक के बाद एक कई नेता पार्टी छोड़ते जा रहे हैं। इन सभी नेताओं के निशाने पर पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर हैं। शुक्रवार को मऊ में प्रदेश महासचिव लालजी राजभर समेत 50 पदाधिकारियों और 150 सदस्यों ने पार्टी से इस्तीफे दे दिया। कहा कि पार्टी अपने उद्देश्यों से विमुख हो गई है। इसलिए यह कदम उठाना पड़ा।
प्रेस को जारी बयान में लालजी राजभर ने कहा कि पार्टी अपने उद्देश्यों से विमुख हो गई है। पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेंद्र राजभर और डॉ. बलिराज राजभर ने भी कार्य प्रणाली एवं कार्यकर्ताओं की उपेक्षा से तंग आकर पांच सितंबर को अपने 30 महत्वपूर्ण पदाधिकारियों के साथ पार्टी से नाता तोड़ लिया।
कहा कि पार्टी को पूरी तरह परिवारवादी बनाने, अति पिछड़ों, अति दलितों, गरीबों, शोषित, वंचितों की लड़ाई से विमुख होने के कारण सभी अपने पदों से त्यागपत्र दे रहे हैं। बताया कि इस्तीफा देने वालों में 50 पदाधिकारी तथा 150 कार्यकर्ता शामिल हैं। इस्तीफा देने वालों में मुख्य रूप से रामू राजभर, रमेश सिंह चौहान, देवदत्त यादव, बृजेश राजभर, सुरेेशनाथ चौहान, दीनानाथ भारती, रामनिवास राजभर, सूरज राजभर, विश्राम राजभर, राजेश, सुरेश प्रजापति अन्य पदाधिकारी तथा कार्यकर्ता रहे।
प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने कहा कि सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर का समाज से कोई लेना देना नहीं है। उनके लिए पार्टी का मतलब स्वयं, पुत्र और परिवार है। वे स्वार्थ के लिए जिसको गाली देते हैं, उसके साथ भी चले जाते हैं। अनिल राजभर गोरखपुर से बलिया जाते समय माउरबोझ में भाजपा के जिला उपाध्यक्ष मुन्ना राजभर के आवास पर मीडिया से बात कर रहे थे।
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समाजवादी पार्टी से गठबंधन टूटने के बाद से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यानी सुभासपा में भगदड़ मची हुई है। एक के बाद एक कई नेता पार्टी छोड़ते जा रहे हैं। इन सभी नेताओं के निशाने पर पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर हैं। शुक्रवार को मऊ में प्रदेश महासचिव लालजी राजभर समेत 50 पदाधिकारियों और 150 सदस्यों ने पार्टी से इस्तीफे दे दिया। कहा कि पार्टी अपने उद्देश्यों से विमुख हो गई है। इसलिए यह कदम उठाना पड़ा।
प्रेस को जारी बयान में लालजी राजभर ने कहा कि पार्टी अपने उद्देश्यों से विमुख हो गई है। पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेंद्र राजभर और डॉ. बलिराज राजभर ने भी कार्य प्रणाली एवं कार्यकर्ताओं की उपेक्षा से तंग आकर पांच सितंबर को अपने 30 महत्वपूर्ण पदाधिकारियों के साथ पार्टी से नाता तोड़ लिया।
कहा कि पार्टी को पूरी तरह परिवारवादी बनाने, अति पिछड़ों, अति दलितों, गरीबों, शोषित, वंचितों की लड़ाई से विमुख होने के कारण सभी अपने पदों से त्यागपत्र दे रहे हैं। बताया कि इस्तीफा देने वालों में 50 पदाधिकारी तथा 150 कार्यकर्ता शामिल हैं। इस्तीफा देने वालों में मुख्य रूप से रामू राजभर, रमेश सिंह चौहान, देवदत्त यादव, बृजेश राजभर, सुरेेशनाथ चौहान, दीनानाथ भारती, रामनिवास राजभर, सूरज राजभर, विश्राम राजभर, राजेश, सुरेश प्रजापति अन्य पदाधिकारी तथा कार्यकर्ता रहे।
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