अचानक से पाकिस्तान के गुण क्यों गा रहा अमेरिका? F-16 लड़ाकू विमान प्रोग्राम को बताया रिश्ते का अहम हिस्सा, दे रहा 45 करोड़ डॉलर

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Image Source : AP/PTI
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Highlights

  • पाकिस्तान को बड़ी मदद दे रहा अमेरिका
  • एफ-16 लड़ाकू विमान के लिए दी जा रही मदद
  • अमेरिका ने द्विपक्षीय रिश्ते का अहम हिस्सा कहा

US Pakistan: बाइडेन प्रशासन ने पाकिस्तान को 45 करोड़ डॉलर की सैन्य सहायता देने के कदम को जायज ठहराते हुए कहा है कि एफ-16 लड़ाकू विमान कार्यक्रम अमेरिका-पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों का अहम हिस्सा है। अमेरिकी सरकार ने कहा कि इन लड़ाकू विमानों के बेड़े से पाकिस्तान को आतंकवाद रोधी अभियान के संचालन में मदद मिलेगी। बाइडेन प्रशासन ने आठ सितंबर को पाकिस्तान को एफ-16 युद्धक विमानों के लिए 45 करोड़ डॉलर की मदद देने की मंजूरी दी थी।

पिछले चार वर्षों में वाशिंगटन की ओर से इस्लामाबाद को दी गई यह पहली बड़ी सुरक्षा सहायता है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, ‘हमने हाल ही में कांग्रेस (संसद) को अवगत कराया है कि हम पाकिस्तानी वायु सेना के एफ-16 विमानों की मरम्मत और रखरखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर देने जा रहे हैं।’ प्राइस ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘पाकिस्तान कई मामलों में हमारा एक महत्वपूर्ण साझेदार है। वह आतंकवाद के खिलाफ जंग में हमारा एक अहम साझेदार है। हम अपनी नीति के तहत अमेरिका में निर्मित उपकरणों की मरम्मत और रखरखाव के लिए सहायता उपलब्ध कराते हैं।’

प्रवक्ता ने कहा, ‘पाकिस्तान का एफ-16 कार्यक्रम अमेरिका-पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों का एक अहम हिस्सा है और इस प्रस्ताव की मदद से पाकिस्तान को एफ-16 बेड़े की मरम्मत के लिए सहायता मिलेगी, जिससे वह आतंकवाद के वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपट सकेगा।’

पाकिस्तान को अमेरिकी सहायता की तीन प्रमुख वजहें

पहली वजह

देश के जाने माने रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल मेस्टन कहते हैं कि जब इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे तो उन्हें कई मामलों में ट्रंप और बाइडेन दोनों ने ही चुप करा दिया था। इस बीच इमरान चीन के साथ अधिक क्लोज हो गए थे। इतना ही नहीं जिस दिन रूस ने यूक्रेन पर हमला किया उस दिन इमरान खान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मीटिंग कर रहे थे। इमरान की कोशिश रूस के साथ भी नजदीकी बढ़ाने की थी। मगर यह बात अमेरिका यानि जो बाइडेन को पसंद नहीं आई थी। जब पाकिस्तान में सरकार बदली तो जो बाइडेन को लगा कि ये पाक सरकार प्रो-अमेरिका (अमेरिका के पक्ष में) रहेगी। इसकी वजह भी है कि पाकिस्तान आर्मी का बेस पूरा अमेरिका द्वारा ही है। पहले तो पाकिस्तानी आर्मी की ट्रेनिंग भी अमेरिका ही करवाता था। फंडिंग और हथियार भी पाकिस्तान को अमेरिका ही उपलब्ध करवाता है।

इसलिए पाकिस्तान आर्मी भी चाहेगी कि वह ज्यादा प्राथमिकता अमेरिका को दे। क्योंकि चीन तो पाकिस्तान को बहुत कुछ देने वाला है नहीं। चीन पाक की जो कुछ भी मदद करेगा वो भी अपने हित में करेगा। चीन सिर्फ इंडिया पर प्रेशर प्वाइंट बनाने के लिए पाक की मदद करता है। उनका संदेश यह देने की कोशिश होती है कि कल को चलकर इंडिया से लड़ाई हुई तो पाक-चीन एक हो जाएंगे। मगर पाकिस्तान का झुकाव अमेरिका प्रति ज्यादा इसलिए होता है कि वहां से उन्हें अत्याधुनिक हथियार और फंडिंग दोनों मिलती है। इसीलिए लगता है कि पाकिस्तान में सरकार बदलने पर अमेरिका का नजरिया भी उसके प्रति बदला है। इसीलिए बाइडन ने ट्रंप के फैसले को पलटते हुए पाकिस्तान को यह 45 करोड़ डॉलर की मदद मुहैया कराई है। वह पाकिस्तान से इसके बदले काफी कुछ फायदा ले भी चुके हैं। आगे भी इरादा रखते हैं। 

दूसरी वजह 

मेजर जनरल मेस्टन कहते हैं कि अभी अफगानिस्तान में तालिबान का शासन है। अमेरिका का मुख्य मकसद वहां अलकायदा को खतम करना था। क्योंकि अलकायदा ने ही उनके यहां 9/11 कराया था। तालिबान से उन्हें इतनी दिक्कत नहीं। इसीलिए अमेरिका और तालिबान के बीच कतर में शांति वार्ता भी हुई थी। पूर्व में पाकिस्तान की आर्मी और तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ भी अमेरिका और तालिबान के बीच होने वाली शांति वार्ता को मैनेज कर रहे थे। अमेरिका के सामने तालिबान को डायलाग में पाकिस्तान ही लेकर आया था। क्योंकि पाकिस्तान तालिबान का समर्थक है। अमेरिका यह भी जानता है कि तालिबान को सिर्फ पाकिस्तान ही कंट्रोल कर सकता है। अगर तालिबान को खतम भी करना तो भी उसके लिए यह काम पाकिस्तान ही कर सकता है। 

पाकिस्तान की मदद से अमेरिका ने अलजवाहिरी को मारा

अमेरिका ने अफगानिस्तान में अलजवाहिरी को मारा। जो कि अलकायदा का चीफ कमांडर था। यानि अमेरिका में 9/11 जैसी बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम देने वाले आतंकी संगठन का मुखिया। अमेरिका ने जिस ड्रोन से जवाहरी को निशाना बनाया उसने पाकिस्तान से ही उड़ान भरी थी। अगर पाकिस्तान ने अमेरिका को यह एयरस्पेस नहीं दिया होता तो शायद अमेरिका अलजवाहिरी को टार्गेट नहीं कर पाता। मेजर जनरल कहते हैं कि अलजवाहिरी के बारे में इंटेलिजेंस भी अमेरिका को पाकिस्तान ने ही 200 फीसद दिया होगा। ताकि वह अमेरिका के गुड बुक में फिर से आ जाए। इसलिए अब अमेरिका फिर से पाक पर मेहरबान होने लगा है। 

तीसरी वजह

मेजर जनरल मेस्टन के अनुसार पूरे विश्व में आज जो सुरक्षा के नए आयाम गढ़े जा रहे हैं। उसकी कई प्रमुख वजहें हैं। इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध के अलावा तालिबान, ताइवान-चीन का मुद्दा और चीन जो भारतीय सीमा में पिछले दो-तीन साल से हरकतें कर रहा है। इन सबके मद्देनजर विश्व फिर दो ध्रुवों में बंट चुका है। इसमें से एक वेस्टर्न ब्लॉक है। यानि जिसमें पश्चिमी देश शामिल हैं। इसमें नाटो देशों के अलावा अन्य बहुत से देश आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी शामिल हो गए हैं जो कि यूरोप क्षेत्र में आते भी नहीं। वेस्टर्न ब्लॉक को अमेरिका लीड कर रहा है। वहीं दूसरा ब्लॉक वह है जो रूस द्वारा लीड किया जा रहा है। इसमें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से चीन शामिल है। प्रत्यक्ष तौर पर नार्थ कोरिया, ईरान, सीरिया जैसे देश भी शामिल हैं।

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