अभी बीपीसीएल का विनिवेश नहीं

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शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली September 15, 2022






पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के विनिवेश की योजना पर अभी काम नहीं चल रहा है क्योंकि सरकार को इसके लिए पर्याप्त संख्या में बोली नहीं मिल सकी है।

मुंबई में आयोजित 25वें ऊर्जा तकनीक सम्मेलन में अलग से बात करते हुए पुरी ने कहा, ‘हम विनिवेश चाहते हैं। लेकिन ऐसी स्थिति नहीं है, क्योंकि केवल एक बोली आई है। पिछले साल और उसके बाद से हम हलचल देख रहे हैं, लेकिन उसके बावजूद बीपीसीएल ने बेहतर प्रदर्शन किया है। अभी यह (विनिवेश) विचारार्थ नहीं है।’ तेल क्षेत्र की दिग्गज कंपनी में इस समय सरकार की 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी है। लेकिन इसमें रुचि दिखाने वाले वेदांत समूह, अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट और प्राइवेट इक्विटी दिग्गज स्क्वैर्ड कैपिटल समर्थित थिंक गैस जैसे क्षमतावान खरीदारों को इस सौदे की रकम के लिए साझेदार पाने में संघर्ष करना पड़ रहा है। मई में सरकार ने बीपीसीएल के रणनीतिक विनिवेश के लिए रुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित करने की शुरुआती प्रक्रिया को वापस ले लिया था। विनिवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग ने कहा था, ‘वैश्विक ऊर्जा बाजार की चल रही स्थिति को देखते हुए बहुसंख्य क्यूआईपी (दिलचस्प लेने वाली पात्र पार्टियां) ने बीपीसीएल के विनिवेश की मौजूदा प्रक्रिया जारी रखने को लेकर अपनी तरफ से अक्षमता जताई है।’

बहरहाल सरकार ने हिस्सेदारी बेचने की योजना को पूरी तरह खत्म नहीं किया था और कहा कि वह बीपीसीएल के विनिवेश की प्रक्रिया शुरू करने पर फैसला करेगी और समय पर इसे फिर से शुरू करेगी। पुरी की मौजूदा प्रतिक्रिया ने उन खबरों को खारिज कर दिया है, जिनमें कहा जा रहा था कि केंद्र सरकार तेल दिग्गज कंपनी की विनिवेश प्रक्रिया बहाल करने जा रही है। मंत्री के बयान के मुताबिक ही पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि हाल फिलहाल में विनिवेश को लेकर कदम आगे बढ़ाए जाने की संभावना नहीं है।

अब तक की स्थिति

महामारी आने के पहले 2020 की शुरुआत तक सरकार के अधिकारियों को भरोसा था कि बीपीसीएल की बिक्री एयर इंडिया के पहले हो जाएगी, क्योंकि वह लाभ में चल रही कंपनी है और इसे खरीदने के ऊर्जा क्षेत्र के वैश्विक दिग्गज दिलचस्पी लेंगे, जो भारत के खुदरा तेल बाजार में अपनी पहुंच बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अधिकारियों ने इसके पहले बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा था कि प्रक्रिया रोक दी गई है क्योंकि तमाम बोलीकर्ताओं को कर्ज वाले नहीं मिल रहे हैं, जिससे उनके साथ कंसोर्टियम बनाया जा सके।

यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण ऊर्जा बाजार में जारी उतार चढ़ाव से भी इस प्रक्रिया में कोई मदद नहीं मिली। बहरहाल बीपीसीएल को बेचने में अनुमान की तुलना में अधिक वक्त लग सकता है। दिलचस्पी लेने वाले बोलीकर्ताओं को रिफाइनर के अप्रैल के वित्तीय आंकड़े मिल गए हैं, लेकिन महामारी के कारण आए व्यवधान की वजह से औपचारिकताएं पूरी करने में देरी नजर आ रही है। 

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