कोविड के बाद का क्षेत्रीय कारोबार एजेंडे में

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शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली September 14, 2022






 कोविड-19 को देखते हुए क्षेत्र में व्यापार व आवाजाही सुनिश्चित करना और दवाओं के मसले पर व्यापक सहयोग इस सप्ताह होने वाले 22वें शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एजेंडे में शामिल होगा।

उज्बेकिस्तान के समरकंद में 15 और 16 सितंबर को यह होने जा रही है, जिसमें ज्यादातर राष्ट्रीय नेताओं की पहली बार व्यक्तिगत उपस्थिति होगी। अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि मजबूत सहयोग के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सुधार पर जोर देने पर भी भारत का ध्यान होगा। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक भी मोदी के दौरे का अहम हिस्सा होगा। एससीओ 8 देशों का राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संबंधी गठजोड़ है। इसका नेतृत्व रूस और चीन करते रहे हैं। मध्य एशियाई क्षेत्र में इसे अहम सम्मेलन माना जा रहा है, जिसमें अन्य देशों की भी व्यापार, आवाजाही और संसाधनों के दोहन को लेकर उल्लेखनीय रुचि रहती है।

2022 के सम्मेलन में अगले साल के लिए भारत  इस संगठन की अध्यक्षता ग्रहण करेगा और अगले सम्मेलन का आयोजन भारत करेगा। ऐसे में भारत अगले एक साल के एजेंडे पर भी जोर दे सकता है।

मध्य एशिया के देशों के साथ व्यापक कारोबार सुनिश्चित करना पिछले कुछ साल से भारत के एजेंडे में रहा है। इस क्षेत्र के साथ भारत का कारोबार 2 अरब डॉलर का है, जबकि चीन का कारोबार 100 अरब डॉलर का है।

सम्मेलन में भारत बेल्ट ऐंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) परियोजना भी अहम हो सकती है, जिसका नेतृत्व चीन कर रहा है और इससे जमीनी रास्ते से जुड़े मध्य एशियाई देशों के आर्थिक विकास की बात कही जा रही है। न्यूयॉर्क के काउंसिल आन फॉरेन रिलेशंस के मुताबिक चीन इस परियोजना में पहले ही 200 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश कर चुका है। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘चीन ने बीआरआई के मसले पर भारत को साथ लाने की कवायद छोड़ चुका है, वहीं भारत के इस परियोजना का विरोध करता रहा है।’ भारत का कहना है कि यह मार्ग पाक अधिकृत कश्मीर से गुजर रहा है और यह उसकी संप्रभुता का उल्लंघन है।

ब्राजील में 2019 में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के बाद मोदी पहली बार शी से व्यक्तिगत रूप से मिलेंगे। उसके बाद लद्दाख और सिक्किम में चीन के घुसपैठ को लेकर कई गंभीर टकराव हो चुके हैं। अधिकारी ने कहा, ‘शीर्ष नेताओं के बीच आमने सामने बैठक द्विपक्षीय कूटनीति के हिसाब से अहम होगी।’

बहरहाल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के साथ द्विपक्षीय बैठक की संभावना नहीं है। शरीफ बाढ़ संकट से जूझ रहे थे और दो दिन पहले ही उन्होंने सम्मेलन में शामिल होने की पुष्टि की है। मोदी की ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रियासी के साथ पहली द्विपक्षीय बैठक होने की उम्मीद की जा रही है। विदेश मंत्रालय के एक और अधिकारी ने कहा कि इसमें चाबहार योजना अहम हो सकती है।

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