जब भी घड़ी में बजता 8 बजकर 15 मिनट… कांप जाती इस देश के लोगों की रूह, क्या है ‘मनहूस घड़ी’ की कहानी?


टोक्यो : एक तारीख, 6 अगस्त 1945, जो जापान के इतिहास में काले अक्षरों में लिखी हुई है। कारण पूरी दुनिया जानती है लेकिन उस दर्द को सिर्फ हिरोशिमा ने महसूस किया था। करीब साढे़ चार हजार किलो वजनी यूरेनियम गन टाइप बम ‘लिटिल बॉय’ जब 1900 फीट की ऊंचाई पर हवा में फटा तो हिरोशिमा के आसमान में एक साथ कई सूरज इकट्ठा हो गए 6400 फीट के दायरे में आने वाली हर चीज खाक हो गई। सुबह सवा आठ बजे जब बम फटा तो शहर की घड़ियां 8 बजकर 15 मिनट पर ही रुक गईं। उस वक्त की कई घड़ियां आज भी संग्रहालयों में मौजूद है जिनमें से एक घड़ी तस्वीर में देखी जा सकती है। आज तक इन घड़ियों में ‘तबाही का समय’ (8:15) मौजूद है।

कहा जाता है कि जब हिरोशिमा पर बम गिरा तो वक्त थम गया था जिसकी तसदीक ये घड़ियां करती हैं। माना जाता है कि इस हमले में करीब डेढ़ लाख लोग मारे गए थे और शहर की करीब 70 फीसदी इमारतें नष्ट हो गई थीं। शहर से करीब 100 मील दूर भी धुएं का गुबार देखा जा सकता था। जापान इस सदमे से बाहर भी नहीं आ पाया था कि 9 अगस्त को अमेरिका ने जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर ‘फैट बॉय’ नामक परमाणु बम गिरा दिया और 80 हजार लोगों की जान चली गई।
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जापान को झुकाने के लिए गिराए बम
बाद की रिपोर्ट्स में पता चलता है कि जो क्रू हिरोशिमा पर बम गिराने जा रहा था उसे भी इससे होने वाली तबाही का अंदाजा नहीं था। अमेरिका ने मैनहट्टन प्रोजेक्ट के तहत दुनिया के पहले परमाणु बम विकसित किए थे। जब ये बनकर तैयार हो गए तो अमेरिका ने इन्हें जापान पर इस्तेमाल करने का फैसला किया। अमेरिका का मकसद सिर्फ द्वितीय विश्व युद्ध में जापान को सरेंडर करने के लिए मजबूर करना था।

‘100 साल बाद भी नहीं भूल पाऊंगा’
प्लेन के को-पायलट कैप्टन लुईस ने इस मंजर का आंखों देखा हाल अपनी लॉगबुक में दर्ज किया था जो उस मिशन का इकलौता मौजूद रेकॉर्ड है। रॉबर्ट ए लुईस ने अपनी लॉगबुक में लिखा, ‘हे भगवान! ये हमने क्या कर दिया। अगर मैं 100 साल भी जिंदा रहा तो भी मैं उन कुछ मिनटों को अपने दिमाग से कभी नहीं निकाल पाऊंगा।’ उन्होंने इसे ‘अब तक का सबसे भयानक धमाका’ करार दिया था। पेन और फिर पेंसिल से लिखी इस लॉगबुक को कुछ महीनों पहले हैरिटेज ऑक्शन में करीब 4 करोड़ रुपए में बेचा गया था।



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