‘ज्ञानवापी, मथुरा ईदगाह… ऐसी 3,000 जगहें एक समूह के निशाने पर हैं’ प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने किस बात को लेकर किया आगाह

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न्यूयॉर्क/ भारत: देश में इस समय ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह को लेकर अलग- अलग अदालतों में सुनवाई चल रही है। दोनों समुदायों का विवादित स्थल को लेकर अपने-अपने दावें हैं जिसपर कोर्ट को फैसला करना है। इस बीच मशहूर अर्थशास्त्री स्वामीनाथन अय्यर का बयान भी सामने आया है। अय्यर ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से कई विजेताओं ने विरासत को नष्ट किया। उन्होंने कहा, ‘ऐसा ही रवैया हम वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में ईदगाह के संबंध में देखते हैं और शायद 3,000 अन्य ऐसी जगहें हैं, जो लोगों के एक समूह के निशाने पर हैं, जो मानते हैं कि उन सभी का नष्ट होना हिंदू धर्म के विशेष सांस्कृतिक मूल्य की उचित विजय है।’ गांधी जयपुर साहित्य महोत्सव (जेएलएफ) न्यूयॉर्क में एक पैनल चर्चा में अर्थशास्त्री स्वामीनाथन अय्यर और उद्यम पूंजीपति आशा जडेजा मोटवानी के साथ चर्चा कर रहे थे।


‘शक्तिशाली दिखाने के लिए नष्ट किए गए कई ऐतिहासिक स्थल’
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अय्यर ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से कई विजेताओं ने विरासत को नष्ट किया है। उन्होंने कहा, ‘यह आपकी शक्ति, आपकी ताकत दिखाने का संकेत था कि आप महलों, मंदिरों, उपासना स्थलों में गए, उन्हें यह दिखाने के लिए नष्ट कर दिया कि आप कितने महान और शक्तिशाली हैं।’अय्यर ने अफगान तालिबान द्वारा बामियान बुद्ध की प्रतिमाओं को तोड़े जाने, आईएसआईएस और अन्य इस्लामी समूहों द्वारा टिम्बकटू में सबसे प्राचीन स्मारकों को नष्ट करने, बगदाद और अफगानिस्तान में संग्रहालयों को लूटने और भारत में मंदिरों से मूर्तियों के गायब होने और बाद में न्यूयॉर्क और लंदन की गैलरी व संग्रहालयों में मिलने जैसी घटनाओं का उल्लेख किया।

‘एक समूह के निशाने पर हैं 3000 से अधिक जगहें’
अय्यर ने कहा, ‘दुर्भाग्य से, हमारे समक्ष ऐसी एक और स्थिति है… रूस एक युद्ध में शामिल है, जिसमें परोक्ष तौर पर बड़ी संख्या में विरासत नष्ट हो रही है।’ स्वमीनाथन अय्यर ने कहा, ‘हालांकि, संकीर्ण राष्ट्रवाद… भारत में युद्ध के बिना, हमारे समक्ष एक ऐसी स्थिति है, जहां विरासत के विनाश को एक महान बात माना जाता है। बाबरी मस्जिद को एक विशेष भीड़ ने नष्ट कर दिया, जिसमें उसे बहुत खुश हुई। भीड़ की नजरों में उसे सभी भारतीयों की विरासत मानने का कोई सवाल नहीं था, बल्कि वह दुश्मन की संपत्ति थी, जिसे नष्ट होना चाहिए था।’

उन्होंने कहा, ‘ऐसा ही रवैया हम वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में ईदगाह के संबंध में देखते हैं और शायद 3,000 अन्य ऐसी जगहें हैं, जो लोगों के एक समूह के निशाने पर हैं, जो मानते हैं कि उन सभी का नष्ट होना हिंदू धर्म के विशेष सांस्कृतिक मूल्य की उचित विजय है।’ अय्यर ने कहा कि और यह कुछ ऐसी चीज है, जिसके खिलाफ हमें लड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि चाहे वह तंजावुर का बृहदीश्वर मंदिर, गोवा का बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस, अहमदाबाद का सिदी सैय्यद मस्जिद, आगरा का ताजमहल या कोचीन का यहूदी उपासना स्थल जाते हैं, उन्हें लगता है कि वे सभी उनके हैं।

अय्यर ने कहा, ‘ये मेरे भी हैं… इनका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। ये हम सभी के हैं, हम सभी को इन्हें संजोना चाहिए। इसलिए मुझे लगता है कि ये वे मूल्य हैं, जिन्हें हमें आगे बढ़ाने की जरूरत है। हमें उन ताकतों के खिलाफ लड़ने की जरूरत है, जो हमारी विरासत को संरक्षित करने के बजाय उसे नष्ट करने को उतारू हैं।’

कुछ ऐसी चीजें हैं जिसे हम चूक और अपेक्षा से गंवा सकते हैं- गांधी
पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी ने कहा कि भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संसाधन, जिसकी उसे रक्षा करनी है और जिसका उसे पोषण करना है और दुनिया को देना है, वह बहुलवाद की विरासत और अपनी सभी विविध आस्थाओं व परंपराओं में उसका विश्वास है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी ने साथ ही आगाह भी किया कि उन्हें भय है कि इसे ‘चूक और उपेक्षा’ से गंवाया जा सकता है।

यहां एशिया सोसाइटी में बुधवार को पैनल चर्चा का संचालन नयी दिल्ली स्थित ‘सेंटर फॉर सोशल एंड इकोनॉमिक प्रोग्रेस’ के सीनियर फेलो और संयुक्त राष्ट्र के शांति विश्वविद्यालय के स्थायी पर्यवेक्षक मिशन के मानद सलाहकार रामू दामोदरन ने किया। गांधी ने आगाह किया, ‘‘भारत का सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संसाधन, जिसकी उसे रक्षा करनी है और जिसका उसे पोषण करना है और दुनिया को देना है, वह भारत के बहुलवाद की विरासत है, भारत का अपनी सभी विविध आस्थाओं, परंपराओं में विश्वास है। मुझे लगता है और भय है कि यह कुछ ऐसी चीज है, जिसे हम चूक और उपेक्षा से गंवा सकते हैं।’

‘संस्कृति का अर्थ मेरी और आज की पीढ़ी के लिए बिल्कुल अलग’
गांधी ने कहा, ‘मैं आज के राजनीतिक विमर्श में ‘संस्कृति’ शब्द के उपयोग को लेकर अब बहुत सचेत हूं। संस्कृति आज कुछ ऐसी चीज हो सकती है, जिसके अर्थ मेरी पीढ़ी या मुझसे पहले की पीढ़ी के लिए बहुत अलग थे। इसका मतलब कुछ ऐसा हो सकता है, जो बहुत संकीर्ण और बहुत असहिष्णु हो।’वहीं, अय्यर ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से कई विजेताओं ने विरासत को नष्ट किया। उन्होंने कहा, ‘यह आपकी शक्ति, आपकी ताकत दिखाने का संकेत था कि आप महलों, मंदिरों, उपासना स्थलों में गए, उन्हें यह दिखाने के लिए नष्ट कर दिया कि आप कितने महान और शक्तिशाली हैं।’

पूर्व राज्यपाल गांधी ने कहा कि सुरक्षा और संरक्षण के साधन उन्नत नहीं हुए हैं और ठीक वही हैं, जो 50 से 100 साल पहले थे। उन्होंने कहा, ‘हालांकि, विनाश के साधनों का तेजी से विस्तार हुआ है।’ गांधी ने कहा, ‘विनाश की प्रौद्योगिकियां खतरनाक रूप से तेजी से बढ़ रही हैं। लेकिन संरक्षण के तरीके ठीक वहीं हैं, जहां वे थे। इसलिए जो सच है एवं जो प्रामाणिक है, उसे संरक्षित करने और उसके विपरीत के बीच लगभग एक हारने वाली लड़ाई है।’

‘तकनीक दो धारी तलवार… इंटरनेट अच्छे और बुरे को बढ़ाना आसान’
उद्यम पूंजीपति आशा जडेजा मोटवानी ने कहा कि तकनीक हमेशा से दोधारी तलवार रही है और जहां तक इंटरनेट की बात है तो अच्छे और बुरे को बढ़ाना आसान है। उन्होंने कहा, ‘यह कुछ ऐसा है, जिसका न केवल निरंकुश, साम्यवादी समाजों में, बल्कि लोकतंत्रों में भी खतरनाक प्रभाव पड़ा है, अमेरिका और भारत जैसे शक्तिशाली लोकतंत्रों में जहां हमने वर्तमान घमासान देखा है, वहां विमर्श का घमासान है।’मोटवानी ने कहा, ‘हम विविध पक्ष के लोगों को साधन और उस समझ का उपयोग करके अपना खुद का विमर्श बनाते हुए पाते हैं, जो हम सभी के पास विज्ञापन या विपणन की दुनिया से है। हम उस समझ का इस तरह से उपयोग करते हुए देखते हैं कि उन लोगों के व्यवहार को कैसे प्रभावित किया जा सकता है, जिन्हें पूर्ण जानकारी नहीं है।’ उन्होंने कहा कि इसने शक्तिशाली और हानिकारक स्थितियां पैदा की हैं। पैनल ने बुधवार को ‘पैक्स कल्टुरा : द बैनर ऑफ पीस’ पर ध्यान केंद्रित किया, जो रोरिक संधि का प्रतीक है। रोरिक संधि कलात्मक प्रतिष्ठानों, वैज्ञानिक संस्थानों और ऐतिहासिक स्मारकों की सुरक्षा के लिए समर्पित अंतरराष्ट्रीय संधि है।

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