प्रौद्योगिकी और इंटरनेट की जुगलबंदी से आगे बढ़ती हिंदी

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इंटरनेट पर मौजूद हिंदी ऐप और वेबसाइटों ने हिंदी भाषा की पहुंच को बढ़ाया
अंशु / नई दिल्ली September 15, 2022






प्रौद्योगिकी और अंतरजाल यानी इंटरनेट की दुनिया ने एक भाषा के रूप में हिंदी को नई पहचान दिलाने में मदद की है। इंटरनेट पर मौजूद हजारों-लाखों हिंदी ऐप और वेबसाइटों ने हिंदी भाषा की पहुंच को अभूतपूर्व रूप से बढ़ाया है। यह बदलाव संभव हुआ है यूनिकोड की बदौलत जिससे कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट और मोबाइल पर आसानी से हिंदी लिखी और पढ़ी जा सकती है। करीब 31 वर्ष पहले विकसित हुई यूनिकोड ने हिंदी को देवनागरी लिपि में इस्तेमाल करने की सहूलियत प्रदान की है। यूनिकोड ने सेवा प्रदाता और सेवा प्राप्तकर्ता दोनों छोरों पर चुनौतियों को कम किया है।

तकनीकी विषयों के जानकार बालेंदु शर्मा दाधीच कहते हैं, ‘सेवाप्रदाता के रूप में हिंदी में वेबसाइट, ऐ​प्लिकेशन और सॉफ्टवेयर बनाने वालों के लिए चीजें आसान हुई हैं। अब उन्हें केवल एक ही नियम का पालन करते हुए सॉफ्टवेयर तैयार करने हैं।  इसके साथ ही उपयोगकर्ता के लिए भी चीजें आसान हुई हैं। अब उन्हें हिंदी पढ़ने या लिखने के लिए अलग फॉन्ट इस्तेमाल करने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें किसी अलग तरह की टाइपिंग सीखने की आवश्यकता भी नहीं है।’ यूनिकोड के आगमन के पहले ऐसा नहीं था। एक समय ऐसा भी था जब कंप्यूटर पर एक-दो नहीं बल्कि 10-15 तरह से टाइपिंग की जाती थी। लोग अपने-अपने ढंग से सॉफ्टवेयर बना लिया करते थे।  इसमें मुश्किल यह थी कि एक सॉफ्टवेयर सीखने वाला व्यक्ति दूसरे सॉफ्टवेयर पर काम नहीं कर पाते थे। इन सॉफ्टवेयर का आपस में कोई तालमेल नहीं होता था।

दाधीच कहते हैं, ‘यूनिकोड ने कंप्यूटर पर हिंदी में काम करने से जुड़ी बहुत सारी जटिलताओं का समाधान किया। उसने भारतीय भाषाओं में कंप्यूटिंग को आसान बना दिया। अब एक बार आपने टाइपिंग सीख ली तो बस हमेशा के लिए सीख ली। इसके बाद आप इंटरनेट पर, विंडोज पर या मोबाइल फोन पर सब जगह आसानी से एक समान रूप से काम कर सकते हैं।’

वर्ल्ड लैंग्वेज डेटाबेस के 22वें संस्करण के मुताबिक दुनिया भर में 61.5 करोड़ हिंदी भाषा बोलते और समझते हैं। जाहिर है हिंदी वेबसाइट और ऐप की मांग बढ़ने की एक बड़ी वजह यह भी है।

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के आंकड़ों के अनुसार तकरीबन एक वर्ष पहले यानी सितंबर 2021 तक देश में करीब 119 करोड़ टेलीफोन उपभोक्ता थे। सितंबर 2021 में देश में करीब 83.42 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करने लगे थे। इनमें से सर्वाधिक 79.48 करोड़ लोग ब्रॉडबैंड आधारित इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। (सभी आंकड़े: ट्राई)।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और डिजिटल मीडिया के विशेषज्ञ संजय सिंह बघेल कहते हैं, ‘केंद्र सरकार भी हिंदी का बढ़चढ़कर प्रचार कर रही है। नई शिक्षा नीति में भी भाषा पर बहुत अधिक जोर दिया गया है। निश्चित रूप से भारत अनेक भाषाओं वाला देश है लेकिन संपर्क भाषा या कहें बाजार की भाषा हिंदी है। चीन के बाद भारत उपभोक्ता वस्तुओं का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। इसलिए दुनिया को लग रहा है कि हिंदी में काम नहीं करेंगे तो बाजार में पिछड़ जाएंगे। इसलिए चाहे कोरियाई हों, जापानी हों, चीनी हों या अन्य देशों के लोग, सभी हिंदी भाषा पर काम कर रहे है। सभी हिंदी भाषा में ऐप और वेबसाइट के माध्यम से अपनी सेवाएं और उत्पादों को विस्तार देना चाहते हैं जिससे हिंदी के बाजार में उनकी हिस्सेदारी में वृद्धि हो और वह लाभ अर्जित करते रहे।’

दाधीच कहते हैं, ‘हिंदी भाषा में सेवाएं उपलब्ध कराकर कंपनियां भारतीय ग्राहकों के साथ भावनात्मक रिश्ता जोड़ अपनी छवि में सुधार करना चाहती हैं। हिंदी भाषा से जुड़ी तकनीक आने से सेवा प्रदाता और प्राप्तकर्ता के बीच जो अंग्रेजी की बाधा थी वह समाप्त हो गई है। इससे सेवा प्रदाता के स्तर पर लागत में कमी आई है और प्राप्तकर्ता के स्तर पर वस्तुओं की कीमत कम हुई है।’

गूगल की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार हिंदी में सामग्री पढ़ने वाले हर वर्ष 94 फीसदी की दर से बढ़ रहे हैं, जबकि अंग्रेजी में सामग्री पढ़ने वालों की तादाद 17 फीसदी की दर से बढ़ रही है।

प्रोफेसर बघेल कहते हैं, ‘अंग्रेजी का बाजार स्थिर हो चुका है। इसलिए कंपनियां हिंदी सहित तमाम अन्य भारतीय भाषाओं में अपनी सेवाएं उपलब्ध करा रही हैं। जिससे उनका कारोबार बढ़ता रहे और वह लाभ अर्जित करती रहें। आज के समय में लोगों की पसंद पूरी तरह से बदल गई है। इसलिए इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कंपनियां जनता की जुबान में कंटेंट और सामग्री उपलब्ध कराकर बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहती हैं। आज के समय में अगर आप जनता की जुबान में काम नहीं करेंगे तो आप कारगर साबित नहीं होंगे और बाजार में पिछड़ जाएंगे।’

हिंदी भाषा में सॉफ्टवेयर बाजार को देखा जाए तो मांग बहुत अधिक है, लेकिन खरीदने वालों की संख्या बहुत कम है। यहां लोगों का नि:शुल्क सॉफ्टवेयर और सेवाओं पर अधिक जोर है। जैसे यूट्यूब व्हाट्सऐप, ट्विटर और फेसबुक आदि।

इस विषय में दाधीच कहते हैं कि हिंदी भाषा से आने वाले लोग मोटे तौर पर मध्यवर्ग का ही प्रतिनिधित्व करते हैं। वह सॉफ्टवेयर बहुत कम खरीदते हैं। पायरेटेड सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं। मोबाइल ऐप के फ्री वर्जन का इस्तेमाल करते हैं। सॉफ्टवेयर बाजार को देखें तो हिंदी में उपभोक्ता बहुत हैं लेकिन बाजार के हिसाब से खरीद बहुत कम है।

बहरहाल बढ़ते बाजार को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि इस प्रवृत्ति में सुधार आने से हिंदी भाषा में ऐप और सॉफ्टवेयर का बाजार एक बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयार होगा।

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