शी जिनपिंग के जूनियर पार्टनर बन रहे पुतिन, भारत के लिए टेंशन वाली है यह खबर

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मॉस्‍को: रूस और यूक्रेन के युद्ध और भारत में पूर्वी लद्दाख पर एलएसी पर तनाव के बीच उज्‍बेकिस्‍तान में आयोजित हो रहे शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। 15 सितंबर से समरकंद में होने वाले इस सम्‍मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंच रहे हैं। वहीं सबकी नजरें रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादीमिर पुतिन और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग पर भी टिकी हुई हैं। इस साल फरवरी में जब यूक्रेन युद्ध की शुरुआत हुई तो उसी समय पुतिन और जिनपिंग के बीच जो केमेस्‍ट्री देखने को मिली, उसके यहां पर और मजबूत होने की संभावना जताई जा रही है। मगर यह केमेस्‍ट्री आने वाले दिनों में भारत की टेंशन को बढ़ा सकती है।

पुतिन-जिनपिंग की केमेस्‍ट्री
फरवरी में बीजिंग पहुंचे और यहां जिनपिंग ने काफी गर्मजोशी के साथ उनका स्‍वागत किया। यहीं से दुनिया को वह तस्‍वीर देखने को मिल गई जिसके बारे में सिर्फ कल्‍पना की गई थी। यूक्रेन युद्ध से तीन हफ्ते पहले चीन ने शीत ओलंपिक्‍स की मेजबानी की थी। दोनों ही नेता नाटो के विस्‍तार के विरोध में हैं। जब बीजिंग में इनकी मुलाकात हुई तो किसी को भी पता नहीं लग पाया कि किन मुद्दों पर इन्‍होंने चर्चा की है।

अब जब युद्ध के सात माह बीत चुके हैं तो माना जा रहा है कि पुतिन इस बारे में जिनपिंग से बात कर सकते हैं। रूस की सेना को यूक्रेन में तगड़ी शिकस्‍त का सामना करना पड़ा है। रूसी सैनिकों को कीव तो छोड़ना ही पड़ा, साथ ही साथ खारकीव में भी उन्‍हें मुंह की खानी पड़ी है।

भारत के लिए मुश्किल
रूस जहां भारत का अच्‍छा दोस्‍त है तो चीन के साथ एलएसी पर तनातनी जारी है। भारत और अमेरिका एक साथ आ रहे हैं तो रूस और चीन के बीच करीबियां बढ़ रही हैं। दूसरी तरफ चीन और अमेरिका के बीच भी ताइवान की वजह से तनाव बना हुआ है। यह वह स्थिति है जहां पर भारत बुरी तरह से फंस गया है। हालांकि रूस के साथ उसने अंतरराष्‍ट्रीय प्रतिबंधों की चिंता नहीं की है। उज्‍बेकिस्‍तान में एससीओ सम्‍मेलन के दौरान पुतिन और जिनपिंग का ‘ब्रोमांस’ भारत के लिए मुसीबत बन सकता है।

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