हर आहट पर चौंक जाती थी जिस सैनिक की मां, 80 साल बाद मिला उसका शव, अब होगा अंतिम संस्‍कार

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शिकागो: जरा कल्‍पना करिए कि आपके परिवार में 21 साल का बेटा एक ऐसी जंग में गया जहां से फिर वह कभी वापस नहीं आया। बेटे के इंतजार में घर के सभी लोगों की आंखें पथरा गईं। बेटे की तो कोई खबर नहीं आई लेकिन 80 साल बाद इस बात की इत्तिला जरूर की गई कि अब लाडले का अंतिम संस्‍कार किया जाएगा। हम बात कर रहे हैं अमेरिकी नौसैनिक हर्बर्ट बर्ट जैकबसन की जिनका निधन 1941 में हो गया था। लेकिन अंतिम संस्‍कार अब 80 साल के बाद होगा।

क्‍या था पर्ल हार्बर
पर्ल हार्बर से निकाले गए अवशेषों की पहचान करने के दशकों के प्रयास के बाद मंगलवार को 21 वर्षीय एक नाविक हर्बर्ट ‘बर्ट’ जैकबसन का अंतिम संस्कार किया जाएगा। यह नौसैनिक 80 साल पहले हुए हमले में मारा गया था। सात दिसंबर 1941 को जापान ने पर्ल हार्बर पर हमला किया था। इसमें अमेरिका के 400 नाविक और नौसैनिक मारे गए थे। इस घटना के बाद अमेरिका भी द्वितीय विश्वयुद्ध में शामिल हो गया था। जैकबसन के परिवार के सदस्यों ने अपने परिजन के अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए अपने पूरे जीवन इंतजार किया है जिसके बारे में वे जानते थे लेकिन कभी उससे मिल नहीं पाए। उनके अवशेषों वाले ताबूत को अर्लिंग्टन राष्ट्रीय कब्रगाह में दफनाया जाएगा।ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ की ड्राइविंग से डर गए थे सऊदी किंग, कहा था- जरा धीरे चलाइए, जानें पूरी कहानी
अब जाकर सुलझा रहस्‍य
जैकबसन के भतीजे ब्रैड मैकडॉनल्ड ने कहा, ‘यह एक तरह से एक अनसुलझा रहस्य रहा है और हमें यह जानने का मौका देता है कि बर्ट के साथ क्या हुआ, वह कहां हैं और आखिरकार उन्हें लंबे समय तक अज्ञात के रूप में सूचीबद्ध रखे जाने के बाद उनके अवशेषों को अंत्येष्टि के लिए रखा जा रहा है।’ जैकबसन का वह ताबूत जिसमें उनके अवशेष रखे गए थे, उसे दफनाया जाएगा। पर्ल हार्बर में जापान ने अमेरिका की वॉरशिप यूएसएस ओकलाहोमा पर हमला बोला था। जैकबसन की मां हर साल सात दिसंबर को याद करके रोती थीं लेकिन उन्‍हें कभी नहीं पता लग पाया कि उनका बेटा आखिर कहां है। बर्ट की मां हमेशा दरवाले की घंटी बजने पर चौंक जाती थीं। उन्‍हें लगता था कि शायद उनका बेटा जंग के मैदान से वापस आ गया है।

दो साल बाद नजर आई थी वॉरशिप
वॉरशिप हमले के बाद डूब गई थी और दो साल बाद यह फिर से समंदर की सतह पर नजर आई। उस समय इसमें से शव बरामद किए गए थे। कुछ सालों के बाद कब्रगाह बन चुके ओ‍कलाहोमा को फिर से खोला गया था। यूएस नेवी के अधिकारियों को उम्‍मीद थी कि दांतों से इनकी पहचान की जा सकेगी और डेंटल रिकॉर्ड से इनके नाम पता लग सकेंगे। सबकी पहचान हो गई थी लेकिन 27 लोगों की पहचान नहीं हो सकी थी।

इन सभी को होनोलूलू स्थित नेशनल मेमोरियल सेमेट्री में रखा गया था। इसे आमतौर पर पंचबाउल के तौर पर जाना जाता है। साल 2003 में करीब 100 सेटों की पहचान करने की कोशिशें फिर से की गईं लेकिन सभी असफल रहीं। साल 2015 में अमेरिकी रक्षा विभाग ने ऐलान किया था कि अवशेषों को फिर से निकालकर उनकी पहचान की जाएगी। इस ऐलान ने जैकबसन के परिवार को एक नई उम्‍मीद दी थी।
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355 सैनिकों की पहचान
नई कोशिशों को प्रोजेक्‍ट ओकलाहोमा का नाम दिया गया था। इसके तहत 355 नौसैनिकों की पहचान हो सकी थी जिसमें जैकबसन भी शामिल थे। वॉरशिप ओकलाहोमा पर एक के बाद एक करीब नौ टॉरपीडोज ने हमला किया था। अभी तक 33 लोगों की पहचान नहीं हो सकी है। अमेरिकी नौसेना के प्रवक्‍ता जीन ह्यूजेस ने बताया कि हमले के 80 साल पूरे होने के मौके पर इन 33 लोगों का भी अंतिम संस्‍कार होगा। जीन उन परिवारों के साथ काम कर चुके हें जिनके अपने इस हादसे में मारे गए थे जिसमें जैकबसन के रिश्‍तेदार भी शामिल हैं।

परिवार को इंतजार खत्‍म
जैकबसन के परिवारवालों को आज तक नहीं मालूम कि आखिर सात दिसंबर 1941 को क्‍या हुआ था। उन्‍हें बस इतना पता है कि जैकबसन कई घंटों बाद अपनी ड्यूटी से वापस आए थे और ऑफिसर्स को दूसरे जहाज तक ले गए थे। ये बात भी जैकबसन के एक दोस्‍त से उन्‍हें पता लगी। मैकडॉनल्ड का कहना है कि अंकल के बहुत अच्‍छे दोस्‍त का मानना है कि जिस समय हमला हुआ उस समय जैकबसन अपने बंक में सो रहे थे। उन्‍हें यह भी पता नहीं चल पाया था कि युद्ध शुरू हो गया है और उनका निधन हो गया।

परिवार जानना चाहता था कि आखिर जैकबसन की डेडबॉडी कहा हैं और साल 2019 में उन्‍हें इसका पता लगा। जैकबसन की फैमिली को बताया गया कि उनके अवशेषों की पहचान कर ली गई है। लेकिन कोविड-19 की वजह से अंतिम संस्‍कार को टालना पड़ गया। अब जाकर परिवार को राहत मिली है लेकिन जैकबसन के माता-पिता के दिल में बेटे को आखिरी बार देखने की आस बाकी रह गई।

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