अगस्त महीने में थोक महंगाई घटी

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शिवा राजोरा / नई दिल्ली September 14, 2022






 अगस्त महीने में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर लगातार तीसरे महीने कम हुई है। यह 11 महीने के निचले स्तर 12.41 प्रतिशत पर है, जिसकी वजह से विनिर्मित और ईंधन से जुड़ी वस्तुओं पर लागत का दबाव कम हुआ है, भले ही खाद्य महंगाई बढ़े हुए स्तर पर बनी हुई है।

उद्योग विभाग की ओर से आज जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि खाद्य महंगाई दर अगस्त में बढ़कर 12.37 प्रतिशत हो गई है, क्योंकि गेहूं, सब्जियों, फलों और प्रोटीनयुक्त वस्तुओं की कीमत एक साल पहले की तुलना में बढ़ी है। ईंधन की महंगाई दर (33.67 प्रतिशत) और विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई दर (7.51 प्रतिशत) कम हुई है। वैश्विक मंदी के डर से मुख्य जिंसों के दाम गिरने के कारण प्रमुख थोक महंगाई दर अगस्त महीने में गिरकर 17 माह के निचले स्तर 7.9 प्रतिशत पर पहुंच गई है।

बहरहाल अप्रैल 2021 से यह लगातार 17वां महीना है जब थोक महंगाई दो अंकों में बनी हुई है। इसमें ऊर्जा और खाद्य वस्तुओं की अहम भूमिका है। अगस्त में थोक महंगाई दर को लेकर चिंता की बात यह है कि 12.41 प्रतिशत महंगाई दर पिछले साल के समान महीने में रही 11.64 प्रतिशत महंगाई दर के उच्च आधार पर है। उप समूहों में देखें तो रसोई गैस, पेट्रोल, डीजल की महंगाई दर घटकर क्रमशः 19.75 प्रतिशत, 38.68 प्रतिशत औऱ 60.15 प्रतिशत रह गई है, क्योंकि कच्चे तेल के वैश्विक दाम गिरकर अगस्त में 100 डॉलर से नीचे आ गए हैं, जो अप्रैल के बाद पहली बार हुआ है।

इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘चल रहे महीने के शुरुआती दौर में क्रमिक रूप से खाद्य वस्तुओं की महंगाई बढ़ने के बीच हम उम्मीद करते हैं कि सितंबर महीने में थोक महंगाई दर घटकर 11 से 12 प्रतिशत रह जाएगी क्योंकि जिंसों के वैश्विक दाम में कमी आने से मदद मिलेगी। इसके साथ ही वित्त वर्ष 23 की दूसरी तिमाही में थोक महंगाई दर घटकर 13 प्रतिशत के आसपास रह सकती है, जो वित्त वर्ष 23 की पहली तिमाही में 16.1 प्रतिशत थी। अगर जिंसों के दाम में कमी जारी रहती है तो अक्टूबर में 18 माह के अंतराल के बाद इसके एक अंक में पहुंचने की संभावना है।’

अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा एक बार और मौद्रिक सख्ती करने और वैश्विक मंदी के डर के कारण जिंसों की कीमत में कमी आने की उम्मीद है और इसकी वजह से थोक महंगाई दर का दबाव कम होगा। केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा, ‘थोक महंगाई दर में कमी एक सकारात्मक प्रगति है। वहीं इसका लाभ ग्राहकों तक पहुंचना अभी बाकी है। अगर ऐसा नहीं होता तो खुदरा महंगाई दर लक्ष्यित स्तर तक लाने में अभी और वक्त लगेगा।

अगर जिंसों की वैश्विक कीमत में कमी बनी रहती है तो हम उम्मीद कर सकते हैं कि थोक महंगाई दर अक्टूबर में एक अंक में आ जाएगी। हम उम्मीद करते हैं कि इस वित्त वर्ष के अंत तक थोक महंगाई दर, खुदरा महंगाई दर की तुलना में नीचे आ जाएगी।’

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का लक्ष्य खुदरा महंगाई दर पर काबू पाना होता है, थोक महंगाई दर पर नहीं, लेकिन थोक महंगाई का असर खुदरा महंगाई पर पड़ता है। अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि रिजर्व बैंक इस माह के अंत में होने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद नीतिगत दरों में तेज बढ़ोतरी करेगा। सोमवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि खुदरा मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर तीन माह की गिरावट के बाद अगस्त में बढ़ गई और खाद्य वस्तुओं में तेजी के कारण यह 7 प्रतिशत पर पहुंच गई है।

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