E-SIM के जान लें नुकसान, वरना फोन खरीदने के बाद पड़ेगा पछताना

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नई दिल्ली। ऐपल (Apple) की तरफ से हाल ही में iPhone 14 सीरीज के नए मॉडल को लॉन्च किया गया है। ऐपल ने ऐलान किया है कि यूएस में iPhone 14 के सभी मॉडल में सिम-ट्रे का स्लॉट नहीं मिलेगा। मतलब सभी मॉडल में दोनों E-SIM सपोर्ट दिया गया है। हालांकि, भारत में iPhone 14 के सभी मॉडल में E-SIM के साथ ही फिजिकल सिम का सपोर्ट मिलेगा। इससे पहले iPhone 13 में सभी एक E-SIM के साथ फिजिकल सिम कार्ड स्लॉट दिया जाता है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि E-SIM के अपने नुकसान होते हैं, आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से..

जानें ई-सिम के नुकसान
घर बैठे नहीं बदल सकते हैं ई-सिम
E-SIM को घर बैठे नहीं बदल सकते हैं। इसके लिए आपको अथॉराइज्ड सर्विस सेंटर विजिट करना होगा। मतलब अगर आप जिओ का सिम लेना चाहते हैं, तो आपको जियो के सर्विस सेंटर विजिट करना होगा, जहां आपसे कुछ डॉक्यूमेंटेशन के बाद E-SIM को एक्टिवेटेड करना होगा।

बार-बार नहीं बदल सकते हैं फोन
अगर आप अक्सर फोन बदलते रहते हैं, तो आपके लिए ई-सिम वाला स्मार्टफोन अच्छा नहीं है। क्योंकि हर बार फोन बदलने पर आपको टेलिकॉम प्रोवाइडर के अथॉराइज्ड सेंटर पर जाना होगा, जो कि आपको दिक्कत पैदा कर सकता है।

ई-सिम क्या है?
E-SIM एक एंबेडेड सब्सक्राइबर
eSIM का फुल फॉर्म एंबेडेड-सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल (Embedded Subscriber Identity Module ) है। ई-सिम फोन में पहले से इनबिल्ड होते हैं। मतलब इन्हें देखा नहीं जा सकता है। इसमें सिम ट्रे की जरूरत नहीं होती है। ई-सिम में आपकी डिटेल को डिजिटल फॉर्म में अपलोड कर दिया जाता है। फोन में एक्स्ट्रा स्पेस की जरूरत नहीं होती है। ऐसे में स्मार्टफोन कंपनियों को फोन को लाइटवेट बनाने में मदद मिलती है। साथ ही फोन को अल्ट्रा-थिन डिजाइन में बनाने में मदद मिलती है। साधारण शब्दों में कहें, तो ई-सिम इंटरनल मेमोरी की तरह होता है, जिसमें आपका डेटा सेव रहता है। eSIM भी इंटरनल स्टोरेज की तरह रीराइट किया जा सकता है। इस तरह से मोबाइल यूजर्स अपनी मर्जी ने अपना ऑपरेटर बदल सकते हैं।

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