Kerala: कुत्तों के हमले बढ़ने पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया | News & Features Network


Keralaआवारा कुत्तों के काटने के मामले बढ़ने पर केरल सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है. साथ ही पागल और हिंसक कुत्तों को मारने की अनुमति मांगी है और इस खतरे को रोकने के लिए एक महीने के अभियान की घोषणा की है. मंत्री एमबी राजेश ने संबंधित विभागों और एजेंसियों के साथ बैठक के बाद कहा, “स्थिति वास्तव में गंभीर है.

हमने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने और बढ़ते कुत्ते के काटने के मामलों को रोकने के लिए कई योजनाएं तैयार करने का फैसला किया है.” मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा स्थानीय निकायों, स्वयंसेवी संगठनों और कुदुंभाश्री जैसे महिला स्वयं सहायता समूहों की मदद से 20 सितंबर से एक महीने तक अभियान चलाया जाएगा.

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मंत्री एमबी राजेश ने कहा, “हम पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) उपायों को सख्ती से बढ़ाएंगे. साथ ही हम हॉट स्पॉट की पहचान करेंगे और कैनाइन शेल्टर बनाएंगे. हम युद्ध स्तर पर अपशिष्ट प्रबंधन की निगरानी भी करेंगे और पर्याप्त टीकों की खरीद करेंगे.” पिछले कुछ महीनों में रेबीज वैक्सीन लेने के बावजूद आवारा कुत्तों के काटने के मामलों में कई गुना बढ़ोत्तरी हुई है और पांच मौत के मामले सामने आए हैं.

पशु प्रेमियों ने आंशिक रूप से सरकार की पहल का स्वागत किया लेकिन कुछ मांगों के दुरुपयोग की संभावना के बारे में आगाह किया. पशु अधिकार कार्यकर्ता और लेखक श्रीदेवी कर्ता ने कहा कि इनमें से कुछ उपाय अच्छे हैं. लेकिन आप हिंसक कुत्तों की पहचान कैसे कर सकते हैं? जैसे इंसानों का मिजाज बदलता है, जानवरों का व्यवहार भी बदलता रहता है. एक कुत्ता चौबीस घंटे हिंसक नहीं हो सकता.

राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक पिछले आठ महीनों में 95,000 से अधिक लोगों को कुत्ते ने काटा और पिछले साल 11 की तुलना में 14 लोगों की मौत हुई. 14 मौतों में से पांच ने इंट्रा वेनल रेबीज वैक्सीन ली है. पिछले पांच वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि 2018 में 1,48,899, 2019 में 1,61,055, 2020 में 1,60,483, 2021 में 2,21, 379 और 2022 में 1,21 हजार मामले आ चुके हैं. 



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