आज का शब्द: वंदना और सोहनलाल द्विवेदी की रचना- कौन सा मैं गीत गाऊँ?

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आज का शब्द: स्वर और शिवमंगल सिंह सुमन की कविता ‘तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार’

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आज का शब्द: मंडित और अजय पाठक की कविता- एक दीपक तुम जलाओ, एक दीपक हम जलाएं

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आज का शब्द: भँवर और रामधारी सिंह दिनकर की कविता- धुँधली हुईं दिशाएँ, छाने लगा कुहासा

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आज का शब्द: मार्ग और हरिशंकर परसाई की कविता- शूल से है प्यार मुझको, फूल पर कैसे चलूं मैं?

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आज का शब्द: दृढ़प्रतिज्ञ और रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ की रचना- प्रात समय है सूर्यरश्मियाँ सतरंगी अतिसुन्दर

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आज का शब्द: देख-रेख और अशेष श्रीवास्तव की कविता- ये ज्वालामुखी क्या अचानक ही फूट जाता है

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आज का शब्द: महिषासुरमर्दिनी और मानोशी की कविता- माँ का फिर आह्वान हुआ है

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आज का शब्द: निर्विकार और अज्ञेय की कविता- है, अभी कुछ और जो कहा नहीं गया

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आज का शब्द: कलश और सोम ठाकुर की रचना- फिर कुहासे की कथा कहती रही धरती

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