अमेरिकी महंगाई से तेजी चरमराई


सुंदर सेतुरामन / तिरुवनंतपुरम 09 14, 2022






भारतीय इक्विटी बाजारों में बुधवार को भारी उतार-चढ़ाव देखा गया, क्योंकि अगस्त के लिए अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़े ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ज्यादा आक्रामक दर वृद्धि की आशंका बढ़ा दी है। इन चिंताओं के बीच, सेंसेक्स करीब दो प्रतिशत की कमजोरी के साथ खुला, लेकिन दोपहर तक बाजार काफी हद तक संभलने में सफल रहा। दिन के कारोबार में, सेंसेक्स 1,232 अंक गिर गया था, क्योंकि वैश्विक बाजारों के जोखिम को देखते हुए निवेशकों में चिंता बढ़ गई। उन्हें यह भी आशंका सताने लगी कि क्या भारतीय बाजार भी विदेशी बाजारों के जोखिम की चपेट में आने से बच पाएंगे या नहीं।

संबंधित खबरें

सेंसेक्स आखिर में 224 अंक या 0.37 प्रतिशत की गिरावट के साथ 60,347 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 66 अंक या 0.37 प्रतिशत की गिरावट के साथ 18,004 पर बंद हुआ। एक दिन पहले ही, सूचकांक ने मंगलवार को करीब आठ महीने में अपना सर्वाधिक ऊंचा स्तर बनाया और हमेशा के अपने नए ऊंचे स्तर से करीब दो प्रतिशत दूर रह गया।

भारतीय बाजारों में यह गिरावट मंगलवार को वॉल स्ट्रीट पर दर्ज की गई भारी गिरावट के मुकाबले तुलनात्मक तौर पर कम थी। एसऐंडपी 500 में मंगलवार को 4.3 प्रतिशत कमजोरी आई, जो दो साल में उसकी सबसे बड़ी गिरावट थी। पूरे यूरोप और एशिया में प्रमुख सूचकांक भी गिरावट में बंद हुए। अमेरिकी बाजारों में अस्थिरता उपभोक्ता कीमत मुद्रास्फीति 0.1 प्रतिशत तक बढ़ने के बाद दर्ज की गई है, क्योंकि इसमें गिरावट का अनुमान जताया गया था। उपभोक्ता कीमत सूचकांक अगस्त में सालाना आधार पर 8.3 प्रतिशत बढ़ा।

निवेशक उम्मीद कर रहे थे कि मुद्रास्फीति में नरमी आएगी और इससे अमेरिकी केंद्रीय बैंक को दर वृद्धि की रफ्तार सुस्त बनाने में मदद मिलेगी। मुद्रास्फीति का आंकड़ा आने के बाद कुछ निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि फेडरल ब्याज दरों में 0.75 प्रतिशत की दो लगातार वृद्धि के बाद अब एक प्रतिशत की वृद्धि भी कर सकता है।

बाजार कारोबारियों का कहना है कि मंगलवार के मुद्रास्फीति आंकड़े ने महंगाई पर काबू पाने के प्रयास में पूर्व की दो दर वृद्धि के औचित्य पर संदेह पैदा कर दिया है और इसे लेकर अटकलों को बढ़ावा दिया है कि फेडरल अधिक आक्रामक मौद्रिक नीति का सहारा लेगा और इससे अमेरिका मंदी की चपेट में आ सकता है।

मॉर्गन स्टैनली में मुख्य एशिया एवं उभरते बाजारों के इक्विटी रणनीतिकार जोनाथन गार्नर ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘अमेरिकी सीपीआई आंकड़ा प्रमुख मुद्रास्फीति के मुकाबले स्पष्ट तौर पर आश्चर्यजनक है। ‘

वैश्विक निवेशकों ने वैश्विक अनिश्चितता के बीच करीब 1,400 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। मंगलवार तक, उन्होंने सितंबर में घरेलू शेयरों में 14,000 करोड़ रुपये का निवेश किया था। जुलाई से मजबूत एफपीआई निवेश की मदद से भारतीय बाजार ने पिछले दो महीनों में अपने कई वैश्विक प्रतिस्पर्धियों को मात दी है।

इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम का कहना है, ‘हमारे सभी संकेतक सकारात्मक हैं, चाहे जीडीपी वृद्धि हो, बैंक ऋण चक्र हो या कर संग्रह। इसके अलावा, वैश्विक आर्थिक दबाव से तेल की मांग घट रही है और कीमतों में कमी आ रही है। भारत के लिए एकमात्र चिंता निर्यात पर दबाव है। साल के अंत तक भारतीय शेयर बाजार वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। ‘ अमेरिका में प्रौद्योगिकी शेयरों में उथल-पुथल और गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट (जिसमें आईटी दिग्गजों टीसीएस और इन्फोसिस की रेटिंग घटाई गई) से आईटी शेयरों में बिकवाली को बढ़ावा मिला। 

कुल मिलाकर, बाजार धारणा मिश्रित रही। जहां गिरने वाले शेयरों की संख्या 1,843 थी, वहीं 1,633 शेयरों में तेजी दर्ज की गई।



Source link

Leave a Reply


Deprecated: Function the_block_template_skip_link is deprecated since version 6.4.0! Use wp_enqueue_block_template_skip_link() instead. in /home/u305439794/domains/newspaperswale.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6078