इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली September 16, 2022 |
इंडिया रेटिंग्स ने शुक्रवार को कहा कि देश का चालू खाता घाटा (सीएडी) पिछले वर्ष के 0.9 फीसदी अधिशेष की तुलना में इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.4 फीसदी यानी नौ वर्ष या 36 तिमाही के उच्च स्तर तक बढ़ सकता है। शुरुआती संकेतों से पता चला है कि दूसरी तिमाही में भी घाटा ऊंचा ही रहेगा क्योंकि कच्चे तेल की कीमते ऊंची ही हैं और डॉलर के मुकाबले रुपये में भी गिरावट आई है।
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2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही से पहले, चालू खाता घाटा 2013-14 की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पादन के 4.7 फीसदी अधिक पर था। रेटिंग एजेंसी ने बताया कि कुल राशि के लिहाज से चालू खाता घाटा 28.4 अरब डॉलर पर 38 तिमाहियों के उच्चतम स्तर को छू सकता है।
इससे पहले 2012-13 की तीसरी तिमाही में घाटा 31.8 अरब डॉलर का था। 2021-22 की चौथी तिमाही में चालू खाता घाटा 13.4 अरब डॉलर या जीडीपी का 1.5 फीसदी था। इंडिया रेटिंग्स ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की कि भुगतान संतुलन में प्रमुख मसला यह है कि क्या देश उस तिमाही में पूंजी प्रवाह के माध्यम से चालू खाता घाटा के लिए रकम जुटाने में सक्षम होगा। हालांकि, यदि कोई पूंजी प्रवाह के दो मुख्य घटकों, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की ओर देखता है तो यह मुश्किल प्रतीत होता है इस प्रवाहों के माध्यम से चालू खाता घाटा के लिए रकम जुटायी जा सकती है और विदेश मुद्रा भंडार से कुछ कमी हो सकती है। एफपीआई ने वित्त वर्ष 23 की पहली तिमाही में भारतीय बाजारों में 14.28 अरब डॉलर की शुद्ध बिक्री की।
हालांकि इस अवधि के दौरान एफडीआई प्रवाह 22.34 अरब डॉलर था, भले ही यह पिछले साल की 22.52 अरब डॉलर की तुलना में 0.79 फीसदी कम रहा।
इसका अर्थ हुआ कि इस अवधि के दौरान इन दोनों खातों से 8.24 अरब डॉलर की शुद्ध कमी आई। इसका मतलब हुआ कि अभी भी चालू खाता घाटा के लिए रकम जुटाने के लिए 20.16 अरब डॉलर की जरूरत होगी, जो अन्य स्रोतों जैसे एनआरआई जमा से आना है अन्यथा विदेशी मुद्रा भंडार से निकासी थी।
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