Mohan Bhagwat ने बुधवार को कहा कि देश के लोगों को अपना ‘स्व’ समझने की जरूरत है क्योंकि पूरी दुनिया ज्ञान के लिए भारत की ओर देख रही है. वह यहां भारतीय विचार मंच नामक एक संगठन द्वारा ‘स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर: बहुआयामी विमर्श’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे.
Mohan Bhagwat ने कहा, ‘अन्य देश मार्गदर्शन के लिए प्राचीन भारतीय दर्शन की ओर आशाभरी निगाहों से देख रहे हैं. हमारे प्राचीन ग्रंथ एवं पुस्तकें सर्वकालिक हैं. आज भी पूरी दुनिया ज्ञान के लिए भारत की ओर देख रही है. ऐसी स्थिति में हमें अपना ‘स्व’ समझने की जरूरत है.’
Mohan Bhagwat ने कहा कि यहां तक शीर्ष न्यायाधीशों ने ‘उस आधार पर’ न्यायिक प्रक्रिया में जरूरी बदलाव करने की अपील की थी. संघ प्रमुख ने कहा, ‘यह धर्म ही है जो हमें प्रेम, करूणा, सच्चाई एवं प्रायश्चित का पाठ पढाता है. हमने ज्ञान का कभी स्वदेशी एवं विदेशी के रूप में विभाजन नहीं किया. हमने सदैव सभी दिशाओं से आने वाले अच्छे विचारों को अपनाने में विश्वास किया. जो देश अपना इतिहास भूल जाते हैं, उनका शीघ्र ही अस्तित्व मिट जाना तय होता है.’ यह संगोष्ठी बस कुछ चुनिंदा अतिथियों के लिए खुली थी.
Mohan Bhagwat ने कहा कि भारत तो 1947 में ही स्वाधीन हो गया लेकिन लोगों ने अपना ‘स्व’ समझने में देर कर दी. उन्होंने कहा कि बी आर आंबेडकर ने सही कहा था कि सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक स्वतंत्रता समान रूप से महत्वपूर्ण हैं.
संघ प्रमुख Mohan Bhagwat ने कहा, ‘लड़ाइयां सदैव दुख-दर्द को जन्म देती हैं. महाभारत उसका एक उदाहरण है. गांधीजी ने सही ही कहा था कि दुनिया में हरेक के लिए पर्याप्त संसाधन हैं लेकिन हम लालच की वजह से मुश्किलों में फंस जाते हैं.’
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