पाक को कहां ले जाएगी इमरान की जिद


मधुरेन्द्र सिन्हा

पाकिस्तान इन दिनों बदहाली और कुदरत की मार से दुर्गति झेल रहा है। इकॉनमी का हाल यह है कि देश कभी भी दीवालिया घोषित हो सकता है। लेकिन इस समय उसे जो सबसे बड़ा खतरा है, वह इकॉनमी की बदहाली से नहीं बल्कि इमरान खान की चालों से है। कभी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट टीम बनाने वाले इमरान खान इस समय सियासत में जहर उगल रहे हैं। 22 सालों तक पाकिस्तान की सियासत में संघर्ष करने के बाद उन्होंने पाकिस्तान की सत्ता पाई भी तो फौज और मजहबी ताकतों की मदद से। हालांकि कई वजहों से शुरू से उनकी छवि सेकुलर पाकिस्तानी की रही। इमरान खान ऑक्सफर्ड में इकनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस के स्टूडेंट रहे। उनकी स्कूली पढ़ाई भी लाहौर के क्रिश्चियन स्कूल में हुई थी। स्वाभाविक ही उन्हें वेस्टर्न कल्चर के नजदीक माना जाता रहा है। उनसे एक धनी परिवार की लड़की जेमिमा ने प्रेम किया। दोनों की शादी भी हुई।

इमरान का माइंड गेम
1982 में वह पाकिस्तान-भारत श्रृंखला के लिए क्रिकेट टीम के कप्तान बनाए गए। तब मुझे एक इंटरव्यू में इमरान ने दो टूक शब्दों में कहा कि वह न केवल भारत को पराजित करके भेजेंगे बल्कि गावसकर और विश्वनाथ का करियर खत्म कर देंगे। ऐसा कहकर उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच एक मनोवैज्ञानिक जंग यानी माइंड गेम की शुरुआत की थी। इमरान शुरू से ही रणनीति बनाने में माहिर थे। उन्होंने 1992 में वर्ल्ड कप जीत कर भी दिखाया।

  • सियासत में कदम रखते ही उन्हें यह समझ में आ गया कि अगर पाकिस्तान में राजनीति करनी है तो मजहब का साथ लेना ही होगा। इसके बाद इमरान खान की छवि तेजी से बदली और जल्द ही नौबत यहां तक आ गई कि उन्हें तालिबानी इमरान कहा जाने लगा।
  • आखिर फौज की मदद से वह 2018 में पाकिस्तान के पीएम बने। नवाज शरीफ को देश छोड़ना पड़ा क्योंकि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के संगीन मामले थे। इमरान खान की छवि एक सुधारक की थी और शुरू में तो लगा कि वह सब कुछ बदल देंगे लेकिन थोड़े समय के बाद सभी कुछ पहले जैसा ही चलने लगा।
  • इमरान खान स्वच्छंद और बिना किसी निर्देश के काम करने वालों में रहे हैं। किसी की सलाह या ऑर्डर मानना उनके लिए कठिन रहा है। पीएम बनने के बाद कुछ दिनों तक तो वह आर्मी चीफ की गाइडलाइंस मानते रहे लेकिन अपने स्वच्छंद स्वभाव के कारण उनसे भी दूर होते चले गए।
  • और जब आईएसआई चीफ के चयन की बात आई तो उन्होंने फौज का भेजा हुआ नाम मंजूर नहीं किया। इससे स्वाभाविक ही जनरल बाजवा से उनकी ठन गई। इस साल अप्रैल में संसद में अविश्वास प्रस्ताव में पराजित होने के बाद वह सत्ता से दूर तो हो गए लेकिन उसके पहले उन्होंने फौज को सीधे चेतावनी दे दी कि वह उन्हें देख लेंगे।
  • सत्ता से हटने के पहले इमरान ने वही ड्रामा किया जो पहले एक समय जुल्फिकार अली भुट्टो ने किया था। उन्होंने अमेरिकी राजदूत के कुछ अनौपचारिक दस्तावेज की कॉपियां निकाल कर हंगामा मचा दिया कि अमेरिका के इशारे पर उन्हें हटाया जा रहा है।
  • उन्होंने फौज के खिलाफ भी अवाम को भड़काया। पाकिस्तान जिसके बारे में कहा जाता था कि उसे अल्लाह, आर्मी और अमेरिका चलाते हैं, तीन में से दो से दूर हो गया। आज औसत पाकिस्तानी अमेरिका को अपना दुश्मन मानता है और आर्मी से भी खफा है।
  • इमरान ने कई जलसे किए जहां दो टूक शब्दों में इस मामले को मजहबी बना दिया और इसे जिहाद का नाम दिया। यानी शहबाज़ शरीफ की सरकार के विरोध को उन्होंने धर्मयुद्ध में बदल दिया।

पाकिस्तान में वहाबी इस्लाम और पश्चिम का विरोध आम बात है। कश्मीर में जिहाद के नाम पर भी वहां करोड़ों रुपये का चंदा वसूला जाता है। इमरान ने इस खेल में भी खूब हाथ बंटाया। आज आम पाकिस्तानी दाने-दाने को मोहताज है। लेकिन इमरान को किसी भी कीमत पर सत्ता चाहिए। अब खेल इमरान बनाम आर्मी हो गया है। अब तक आर्मी चीफ जनरल बाजवा की मुखालफत कर रहे इमरान खान ने सरकार को जनरल बाजवा का कार्यकाल बढ़ाने का सुझाव दे दिया है। हालांकि इस सुझाव के मूल में है उनकी यह मांग कि नए सेनाध्यक्ष की नियुक्ति को चुनाव के जरिए नई सरकार बनने तक के लिए टाल देना चाहिए।

सबसे बड़ा कर्जदार देश

इमरान खान की शख्सियत ऐसी है कि आम पाकिस्तानी एक बार तो उनके झांसे में आ ही जाता है। उनका विरोध का तरीका ऐसा है कि अवाम को लगता है, वह सच बोल रहे हैं। सचाई यह है कि अपने पौने चार साल के शासन में उन्होंने पाकिस्तान को दुनिया के सबसे बड़े कर्जदार देश में बदल दिया। आज पाकिस्तान पर 50 खरब रुपये का कर्ज है जिसका ब्याज देते-देते वह कंगाल हो चुका है। यह कर्ज उसके कुल जीडीपी का 80 फीसदी है। इमरान वर्तमान सरकार और फौज की मुखालफत करके इतने पॉप्युलर हो चुके हैं कि अगर अभी चुनाव हो तो फिर से जीत जाएंगे। ऐसा नहीं हुआ तो वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। इमरान पाकिस्तान के टुकड़े-टुकड़े करवाने में भी नहीं हिचकेंगे। इमरान खान की राजनीति में जानकारों को जुल्फिकार अली भुट्टो की सियासत की झलक दिखती है, वही मक्कारी और वही अहंकार। भुट्टो ने सत्ता के लिए मुल्क के दो टुकड़े करवा दिए थे। पाकिस्तानी डिप्लोमैट साजिद तरार मनाते हैं कि जो काम भारत अरबों डॉलर खर्च करके नहीं कर सका वह इमरान खान ने कर दिखाया। देश के तीन टुकड़े कभी भी हो सकते हैं।

डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं





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