पुरुषों में बढ़ रहा स्तन कैंसर


पुरुष में स्तन कैंसर एक दुर्लभ बीमारी है
अजंता कृष्णमूर्ति और सोहिनी दास /  09 15, 2022






जिस तरह गुलाबी रंग सिर्फ महिलाओं के लिए विशिष्ट नहीं है, उसी तरह स्तन कैंसर भी महिलाओं तक सीमित नहीं है। यह पुरुषों को भी हो सकता है।

जब पुरुषों को पहली बार बताया जाता है कि उन्हें स्तन कैंसर हैं, तो वे यह कहते हुए कि ‘हमारे पास तो स्तन नहीं हैं!’ इस बात को मानने से इनकार कर देते हैं। मगर आंकड़े कुछ और ही तस्वीर पेश करते हैं।

महिलाओं में स्तन कैंसर 100 गुना अधिक आम है, पुरुषों में यह 1 फीसदी से भी कम मामलों में पाया जाता है। मगर पुरुषों में स्तन कैंसर का जल्दी पता लगने की संभावना बहुत कम होती है।

पुरुष में स्तन कैंसर एक दुर्लभ बीमारी है। अगर जांच में इसका पता नहीं चलता है, तो उनकी बीमारी का बोझ और भी बढ़ जाता है। कई लोगों के लिए एक ‘महिला रोग’ वाला पुरुष होना अशक्त कर देने वाला है। इसके साथ ही समाज से बहिष्कृत होने का भय और अन्य तनाव की भावनाएं भी हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि वे पुरुषों में स्तन कैंसर में धीमी वृद्धि देख रहे हैं। मुंबई के एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल के निदेशक और कैंसर रोग विशेषज्ञ विजय वी हरिभक्ति कहते हैं, ‘कुल मिलाकर स्तन कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। अब हम पुरुष स्तन कैंसर के रोगियों को हर एक या दो महीने में देखते हैं। इसकी तुलना में हम लगभग हर ओपीडी में महिला स्तन कैंसर के मरीज देखते हैं। वह कहते हैं कि अनुपात ज्यादा नहीं बदला है।’

एक और उभरता हुआ कारक यह है कि अब अपेक्षाकृत कम उम्र के पुरुषों में इस बीमारी की पहचान हो रही है। गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक और कैंसर रोग विशेषज्ञ निरंजन नाइक कहते हैं, ‘यह ज्यादातर 60 से 80 वर्ष की आयु के पुरुषों में देखा जाता है, लेकिन अब हम युवा पुरुष रोगियों (45-48 वर्ष) को भी देख रहे हैं।

किसी भी तरह के कैंसर में इसके लक्षणों को जल्दी पहचानना महत्त्वपूर्ण है। स्तन कैंसर के मामले में पुरुषों के जीवित रहने के लिए और भी अधिक महत्त्वपूर्ण है। चूकि पुरुषों में स्तन ऊतक कम होते है, ऐसे में कैंसर निकटवर्ती अंगों में तेजी से फैलता है।

नाइक बताते हैं, ‘महिलाओं में कैंसर को त्वचा पकड़ने में समय लगता है। 5 सेमी तक की गांठ महिलाओं में स्टेज 2 कैंसर हो सकती है, जबकि पुरुषों में एक सेमी जितनी छोटी गांठ स्टेज 3 हो सकती है। हमारे पास आने वाले अधिकांश पुरुष रोगी अपनी महिला समकक्षों की तुलना में कैंसर के अपेक्षाकृत उच्च चरण में होते हैं।’

स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षण

हैदराबाद के यशोदा अस्पताल के वरिष्ठ कैंसर चिकित्सा सलाहकार और रक्त कैंसर विशेषज्ञ निखिल एस घडियालपाटिल कहते हैं, ‘स्तन कैंसर से जूझ रहे पुरुष और महिला की जीवित रहने की दर थोड़ी भिन्न होती है। आमतौर पर पुरुष स्तन कैंसर रोगियों के लिए पांच साल की जीवित रहने की दर लगभग 77 फीसदी है। यह उन महिलाओं की तुलना में कम है, जिनके पास जीवित रहने की संभावना 84 फीसदी है। महिलाओं की तरह उन्नत चरण में पुरुष स्तन कैंसर के रोगियों के दीर्घकालिक परिणाम निराशाजनक होते हैं।

लेकिन शुरुआती संकेत क्या हैं? पुरुषों के स्तन ऊतक कम होते हैं, इसलिए अधिकांश मामलों में निप्पल और उसके आसपास के भूरे क्षेत्र में उभार आता हैं। निप्पल में सूजन, निप्पल में विकृति या कांख में सूजन इसके लक्षण हैं। स्तन से स्राव (पस जैसा कुछ बहना) हो सकता है या उसके आकार में परिवर्तन हो सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि स्तन में गांठ आमतौर पर दर्द रहित होती है। केवल कुछ मामलों में ही व्यक्ति को गांठ में दर्द महसूस होता है।

स्तन कैंसर का पारिवारिक इतिहास या बीआरसीए जीन के हानिकारक प्रकार की उपस्थिति पुरुष में स्तन कैंसर के प्रमुख कारण हैं। दरअसल डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी आनुवंशिक है।

हरिभक्ति बताते हैं, ‘हमने ऐसे मामले देखे हैं, जहां एक पुरुष स्तन कैंसर रोगी की बेटी भी स्तन कैंसर का शिकार हो जाती है। ऐसा नहीं है कि वंशानुगत समीकरण केवल माताओं और बेटियों के बीच ही होता है। यदि स्तन कैंसर का पारिवारिक इतिहास है तो पुरुषों और महिलाओं दोनों में इसके विकसित होने का जोखिम होता है।’

स्तन कैंसर का इलाज

क्या पुरुष उपचार के प्रभावों के बारे में चिंता करते हैं- जैसे हार्मोन संबंधी असंतुलन जो ‘स्त्री’ विशेषताओं की ओर ले जाता है? डॉक्टरों का कहना है कि जिन पुरुषों में एस्ट्रोजन का उच्च स्तर होता है, उनमें स्तन कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। जैसे कि मोटे पुरुष क्योंकि एस्ट्रोजन वसा कोशिकाओं में जमा होता है।

नाइक कहते हैं, ‘जब हम पुरुषों का इलाज शुरू करते हैं तो हम ऐसी दवाएं देते हैं जो एस्ट्रोजन के स्तर को कम करती हैं। ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे कोई भी तथाकथित स्त्री गुणों को विकसित कर सके।’

नाइक कहते हैं कि पुरुष अक्सर उपहास के भय से अपने स्तन कैंसर का खुलासा करने में संकोच करते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में पुरुष गांवों की तुलना में बेहतर तरीके से इसका सामना करते हैं।

पुरुषों में सर्जरी मुश्किल नहीं है। हरिभक्ति कहते है, सर्जरी के दौरान शायद ही किसी स्तन संरक्षण की आवश्यकता होती है। निप्पल क्षेत्र को शल्य चिकित्सा द्वारा हटा दिया जाता है। पुरुषों में स्तन कैंसर की सर्जरी महिला स्तन कैंसर से थोड़ी अलग होती है।’ उन्होंने आगे कहा कि पिछले दो वर्षों में मैंने जितने भी पुरुष रोगियों का ऑपरेशन किया है। उनके स्तन पर सर्जरी का बहुत छोटा सा निशान छोड़ा है। इस निशान से उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है। 

फिर भी मरीजों की अपनी चिंता है। घडियालपाटिल बताते हैं, ‘सर्जरी में आमतौर पर निप्पल क्षेत्र को शल्य चिकित्सा द्वारा हटा दिया जाता है। मगर इस बीमारी के साथ थोड़ा सा कलंक जुड़ा हुआ है। कई रोगी प्रारंभिक अवस्था में डॉक्टर को दिखाने से हिचकिचाते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि उनकी यह झिझक बाद में बहुत महंगी साबित होती है।   



Source link

Leave a Reply


Deprecated: Function the_block_template_skip_link is deprecated since version 6.4.0! Use wp_enqueue_block_template_skip_link() instead. in /home/u305439794/domains/newspaperswale.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6078