आईपीओ से 5,500 करोड़ रुपये जुटाएगी। इससे मिलने वाली रकम हिस्सेधारकों के खाते में जाएगी |
सोहिनी दास / September 16, 2022 |
देसी बाजार की चौथी सबसे बड़ी दवा कंपनी मैनकाइंड फार्मा ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) पेश करने के लिए बाजार नियामक सेबी के पास विवरणिका का मसौदा (डीआरएचपी) जमा कराया है। सूत्रों ने कहा कि कंपनी इसके जरिए 5,000 से 5,500 करोड़ रुपये तक जुटाने पर विचार कर रही है, जो सबसे बड़ी दवा फर्मों के हालिया आईपीओ में से एक होगा।
डीआरएचपी के मुताबिक, इस आईपीओ में प्रवर्तकों व मौजूदा शेयरधारकों की तरफ से 4 करोड़ शेयरों की बिक्री की जाएगी।
प्रवर्तकों में रमेश जुनेजा, राजीव जुनेजा, शीतल अरोड़ा, रमेश जुनेजा फैमिली ट्रस्ट, राजीव जुनेजा फैमिली ट्रस्ट और प्रेम शीतल फैमिली ट्रस्ट शामिल हैं। क्रिस कैपिटल और कैपिटल इंटरनैशनल जैसे निवेशक सूचीबद्धता के जरिए आंशिक निकासी कर सकते हैं।
डीआरएचपी में कहा गया है, कंपनी को हालांकि इस पेशकश से कुछ नहीं मिलेगा। इसमें कहा गया है, हमारी कंपनी उम्मीद कर रही है कि इक्विटी शेयरों की सूचीबद्धता से हमारे ब्रांड में इजाफा होगा और मौजूदा शेयरधारकों को नकदी मिलेगी। सूचीबद्धता से इक्विटी शेयरों को सार्वजनिक बाजार भी मिल जाएगा।
आईपीओ से मिलने वाली रकम हिस्सा बेचने वाले शेयरधारकों को मिलेगी। कई बार कोशिशों के बाद भी मैनकाइंड फार्मा के चेयरमैन आर सी जुनेजा से टिप्पणी नहीं मिल पाई। इस साल मैकलॉयड फार्मा ने भी 5,000 करोड़ रुपये के आईपीओ के लिए आवेदन जमा कराया है। हालांकि रिपोर्ट से पता चलता है कि निवेशकों के साथ बातचीत के बाद मूल्यांकन में अंतर होने के कारण आईपीओ योजना अभी टाल दी गई है। हाल के वर्षों का सबसे बड़ा दवा फर्म का आईपीओ ग्लैंड फार्मा का रहा है, जिसने नवंबर 2020 में 6,480 करोड़ रुपये जुटाए थे।
मैनकाइंड ने डीआरएचपी में कहा है, देसी बिक्री के लिहाज से वित्त वर्ष 2022 में यह कंपनी देश की चौथी सबसे बड़ी दवा कंपनी रही और बिक्री वॉल्यूम के लिहाज से दूसरी सबसे बड़ी।
मैनफोर्स कंडोम, प्रेगा न्यूज, गैस-ओ-फास्ट आदि अहम ब्रांड की निर्माता मैनकाइंड का ध्यान देसी बाजार पर है, जिसका योगदान वित्त वर्ष 22 के कुल राजस्व में 97.6 फीसदी रहा। यह मोटे तौर पर खुद के दम पर आगे बढ़ी है। डॉक्टर की पर्ची वाली दवाओं में उसकी मौजूदगी रक्तचाप (एमलोकाइंड), मधुमेह (मॉक्सीकाइंड सीवी), विटामिंस (न्यूरोकाइंड) आदि में है।
कंपनी ने दावा किया है, हमने अपने दवा कारोबार में 36 ब्रांड सृजित किए हैं और हर ब्रांड ने वित्त वर्ष 22 में 50 करोड़ रुपये की देसी बिक्री हासिल की। कंपनी के पास भारतीय दवा बाजार में मेडिकल रीप्रेजेंटेटिव का सबसे बड़ा नेटवर्क है और देश के 80 फीसदी डॉक्टरों ने वित्त वर्ष 22 के दौरान उसके फॉर्मूलेशन को अपनी पर्ची पर मरीजों के लिए लिखा।
साल 1995 में दो भाइयों रमेश व राजीव जुनेजा ने कंपनी की शुरुआत की थी और मैनकाइंड दुनिया के 34 बाजारों में परिचालन करती है और उसके 14,000 कर्मचारी हैं। कंपनी के 23 विनिर्माण केंद्र भी हैं। वित्त वर्ष 22 में कंपनी का एकीकृत परिचालन राजस्व 7,781.5 करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 21 के 6,214 करोड़ रुपये के मुकाबले ज्यादा है। वित्त वर्ष 22 में कंपनी का लाभ 1,452.9 करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 21 में 1,293 करोड़ रुपये रहा था।
भारतीय दवा बाजार में कंपनी की मौजूदा हिस्सेदारी 4.4 फीसदी है। ऐतिहासिक तौर पर एक्यूट थेरेपी पर केंद्रित मैनकाइंड फार्मा ने हाल के वर्षों में क्रॉनिक थेरेपी पर ध्यान देना शुरू किया। कंपनी के निदेशक (परिचालन) अर्जुन जुनेजा ने पिछले साल बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा था, हमारा इरादा तीन साल में क्रॉनिक थेरेपी वाली दवाओं से 50 फीसदी राजस्व हासिल करने का है। उन्होंने कहा था, संक्रमण रोधी का हमारे पास व्यापक आधार है लेकिन क्रॉनिक दवाओं की बढ़त की रफ्तार कहीं ज्यादा तेज है। हम अगले तीन से चार साल में क्रॉनिक थेरेपी की कम से कम 50 फीसदी हिस्सेदारी की उम्मीद कर रहे हैं।
डीआरएचपी में कंपनी ने कहा है कि एक्यूट थेरेपी पोर्टफोलियो ने वित्त वर्ष 20 व वित्त वर्ष 22 के बीच सालाना 16 फीसदी चक्रवृद्धि की रफ्तार से बढ़ोतरी दर्ज की। वहीं क्रॉनिक थेरेपी पोर्टफोलियो में इस दौरान 18 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि की रफ्तार से इजाफा हुआ।
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