ताइवान पर 2027 तक कब्जा करना चाहता है चीन? जिनपिंग ने सेना को दिए ‘मास्टप्लान’ तैयार करने के ऑर्डर, CIA का दावा

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बीजिंग : चीन और ताइवान के बीच पिछले दिनों तनाव अपने चरम पर पहुंच गया था। हालात संघर्ष की कगार पर पहुंच गए थे लेकिन किसी भी पक्ष ने अपना संयम नहीं खोया। अमेरिका ताइवान का खुलकर समर्थन कर रहा है और यही बात चीन को भड़का रही है। इस बीच अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के डायरेक्टर डेविड कोहेन ने कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग चाहते हैं कि उनकी सेना 2027 तक ताइवान पर कब्जा करने में सक्षम हो जाए। सीएनएन ने अपनी रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है। हालांकि कोहेन ने कहा कि एजेंसी अभी भी मानती है कि चीन शांतिपूर्ण तरीके से द्वीप को पीआरसी (People’s Republic Of China) में मिलाना चाहता है।

कोहेन के बयान को सीएनएन की पत्रकार केटी बो लिलिस ने रिपोर्ट किया है जिन्होंने खुद कहा था कि जिनपिंग ताइवान पर हमले की तैयारी नहीं कर रहे हैं लेकिन वह ‘ताइवान पर बलपूर्वक कब्जे की क्षमता’ चाहते हैं। लिलिस ने कोहेन के हवाले से कहा, ‘उनका ऐसा करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन उन्होंने अपनी सेना से उन्हें ऐसी स्थिति में रखने के लिए कहा है जिसमें वह जो चाहें वह कर सकें।’ कोहेन ने कहा कि खुफिया समुदाय का मानना है कि जिनपिंग ताइवान पर असैन्य तरीकों से कब्जा करना चाहते हैं।

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चीन दे चुका है बल के इस्तेमाल की चेतावनी
बीजिंग कई बार कह चुका है कि वह शांतिपूर्ण तरीकों से ताइवान को मेनलैंड चाइना में जोड़ना चाहता है लेकिन जरूरत पड़ने पर बल का इस्तेमाल करने से भी पीछे नहीं हटेगा। ताइवान ने चीन के ‘एक देश, दो प्रणाली’ के नजरिए को खारिज किया है। उसका कहना है कि सिर्फ ताइवान की जनता ही अपना भविष्य तय कर सकती है। अगस्त की शुरुआत में अमेरिकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की यात्रा के बाद चीन और ताइवान के बीच तनाव अचानक बढ़ गया था। इसके बाद चीन ने ताइवान की घेराबंदी कर एक बड़ा सैन्य अभ्यास किया था।

अमेरिका का साथ पाकर ताइवान के हौसले बुंलद
कुछ हफ्तों पहले चीन का एक ड्रोन ताइवान नियंत्रण वाले एक द्वीप में दाखिल होने का प्रयास कर रहा था। ताइवान ने पहली बार वॉर्निंग शॉट्स दागते हुए चीन की इस हरकत का जवाब दिया था। गोलीबारी से ड्रोन वापस चीन लौट गया था। PLA का यह ड्रोन ताइवान के नियंत्रण वाले किनमैन द्वीप की तरफ बढ़ रहा था जो चीन से सिर्फ 3 किमी की दूरी पर स्थित है। अमेरिकी अधिकारियों की यात्रा और सैन्य मदद पाकर चीन के खिलाफ ताइवान के हौसले बुलंद हैं।

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