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भाविनी मिश्रा / 10 10, 2022 |
सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने एक बयान जारी कर कहा है कि 30 सितंबर को उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की पदोन्नति तय करने के लिए न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और एस अब्दुल नजीर ने मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित के द्वारा लिए गए फैसले के तरीके पर आपत्ति जताई थी।
सोमवार को सार्वजनिक तौर पर जारी हुए एक बयान में, कॉलेजियम ने कहा कि डी वाई चंद्रचूड़ और एस अब्दुल नजीर ने ‘सर्कुलेशन’ के तरीके पर आपत्ति जताई थी, जिसके कारण 30 सितंबर की बैठक ‘बेनतीजा’ रही थी। सर्कुलेशन का उपयोग पदोन्नति के लिये विचाराधीन न्यायाधीशों के फैसले कॉलेजियम में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेने में असमर्थ सदस्यों के विचार जानने के लिए पहली बार किया गया था।
आमतौर पर, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की पदोन्नति पर चर्चा और विचार-विमर्श करने के लिए कॉलेजियम की बैठकें शारीरिक रूप से की जाती हैं। हालांकि, 30 सितंबर को, भारत के मुख्य न्यायाधीश ने न्यायाधीशों के बीच उनके विचार जानने के लिए एक पत्र प्रसारित किया क्योंकि चंद्रचूड़ उस दिन रात 9 बजे तक अदालत में थे और बैठक में शामिल नहीं हो सके।
कॉलेजियम की स्थगित बैठक 30 सितंबर को शाम 4.30 बजे बुलाई गई थी। लेकिन, चंद्रचूड़ के बैठक में शामिल न होने के कारण मुख्य न्यायाधीश ने सर्कुलेशन के जरिये 30 सितंबर की तारीख का एक प्रस्ताव भेजा।
मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम में न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, संजय किशन कौल, एस अब्दुल नजीर और के एम जोसेफ शामिल हैं। कॉलेजियम ने 26 से 30 सितंबर तक चलने वाले पूरे घटनाक्रम का विवरण दिया है। बयान में यह भी बताया गया कि 26 सितंबर को हुई एक औपचारिक बैठक के आधार पर 11 न्यायाधीशों के नामों पर विचार किया गया। चूंकि न्यायमूर्ति दीपंकर दत्ता, मुख्य न्यायाधीश, बंबई उच्च न्यायालय के नाम पर राय सर्वसम्मति से थी, इसलिए इनके नाम का एक प्रस्ताव पारित किया गया था और अन्य दस न्यायाधीशों के नामों पर विचार 30 सितंबर तक के लिए टाल दिया गया था।
बयान में कहा गया, ‘इस प्रकार, प्रधान न्यायाधीश द्वारा बढ़ाए गए प्रस्ताव में संजय किशन कौल और के एम जोसेफ की सहमति थी, जबकि डी वाई चंद्रचूड़ और एस अब्दुल नजीर ने ‘सर्कुलेशन’ द्वारा जजों के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी।
पत्र में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रवि शंकर झा, पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पीवी संजय कुमार, और वरिष्ठ अधिवक्ता केवी विश्वनाथन का नाम शामिल था।
नोटिस में कहा गया कि चूंकि पदोन्नति के विचार-विमर्श के तरीके पर सवाल उठाया गया था, इस मामले पर अब कॉलेजियम बनाने वाले न्यायाधीशों के बीच सर्वसम्मति से चर्चा की जाएगी।
इसमें यह भी कहा गया है कि केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू से 7 अक्टूबर को एक पत्र प्राप्त हुआ है जिसमें भारत के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित से अपने उत्तराधिकारी को पद संभालने के लिए नामित करने का अनुरोध किया गया है। मुख्य न्यायाधीश 8 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
बीसीआई ने किया चंद्रचूड़ का समर्थन
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने रविवार को कहा कि उसे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ पर पूरा भरोसा है, जो भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं।
‘सुप्रीम कोर्ट ऐंड हाई कोर्ट लिटिगेंट असोसिएशन’ के प्रमुख होने का दावा करने वाले आर के पठान ने 8 अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश चंद्रचूड़ के खिलाफ भारत के राष्ट्रपति और अन्य के पास शिकायत दर्ज कराई थी। वकीलों के वैधानिक निकाय ने कहा कि यह भारतीय न्यायपालिका को बदनाम करने का एक जानबूझकर प्रयास था। (साथ में भाषा)
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