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रूस-भारत के अच्छे रहे हैं संबंध
विदेश मंत्री ने कहा, ‘रूस के साथ हमारे लंबे समय से संबंध हैं और दोनों देशों के बीच ही ये अच्छे रहे हैं। हमारे पास सोवियत और रूसी मूल के हथियार पर्याप्त मात्रा में हैं। रूसी हथियार कुछ खास कारणों से बढ़े हैं, उनमें से सबसे बड़ा कारण है कि दशकों तक पश्चिमी देशों ने भारत को हथियारों को आपूर्ति नहीं की। वह हमारे बगल में सैन्य तानाशाहों (पाकिस्तान) को पसंदीदा भागीदार के तौर पर देख रहा था। हम आंतरिक राजनीति में ऐसे निर्णय लेते हैं जो हमारे भविष्य और वर्तमान की स्थिति को प्रतिबिंबित करे।’ विदेश मंत्री ने अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका पर निशाना साधा है।
ऑस्ट्रेलिया का वाणिज्यिक दूतावास खोलने की उम्मीद
इस दौरान ऑस्ट्रेलिया के साथ संबंधों पर बोलते हुए जयशंकर ने कहा, ‘आर्थिक सहयोग और व्यापास समझौता जो इस साल दोनों देशों के बीच हुआ है वह बहाली की तरफ है और उसे लेकर हम उत्साहित हैं। हमें दोहरी टैक्स प्रणाली में बदलाव करना है, क्योंकि उससे व्यापास बढ़ोतरी में दिक्कत आती है। हमने कई महत्वपूर्ण क्षेत्र जैसे खनिज, साइबर नई और नवीकरणीय ऊर्जा आदि में काम किया है।’ इस मौके पर ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग ने कहा, ‘हमें ऑस्ट्रेलिया-भारत संबंधों को और मज़बूत करना जारी रखना होगा। हम अगले साल बेंगलुरु में ऑस्ट्रेलिया के महावाणिज्य दूतावास खोलने की उम्मीद कर रहे हैं।’
खलिस्तान के मुद्दे पर भी बोले जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडा में खलिस्तान के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, ‘हमने समय-समय पर यह मामला कनाडा की सरकार के सामने रखा है। हमने यह बात रखी है कि लोकतांत्रिक देशों में जो आज़ादी मिली है उसका दुरुपयोग उन ताकतों द्वारा नहीं होना चाहिए जो हिंसा और कट्टरता का साथ देते हैं’ विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के साथ यूक्रेन में चल रहे संघर्ष पर बात की है और इसके हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर पड़ने वाले नतीजों की चर्चा की है।
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