टाटा समूह की स्टील कंपनी टाटा स्टील दो हजार करोड़ रुपये जुटाने के लिए नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर यानी NCD ले कर आएगी। शेयर मार्केट को दी जानकारी में टाटा स्टील ने बताया कि कंपनी के डायरेक्टर्स की कमिटी ने नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCDs) के तौर पर डेट सिक्युरीज जारी कर फंड जुटाने की अनुमति दे दी है। टाटा स्टील प्राइवेट प्लेसमेंट के आधार पर NCD जारी करेगी। कंपनी को डायरेक्टर्स की कमिटी ने NCD जारी करने के लिए 14 सितंबर को ही अनुमति दी है।
कंपनी ने अनुसार, NCD की दो सीरीज जारी की जाएंगी। 20 सितंबर को जारी होने वाली पहली सीरज में 10 लाख रुपये प्रति फैस वैल्यू के 5,000 डिबेंचर जारी होंगे, जो कुल 500 करोड़ रुपये के होंगे। पहली सीरीज के डिबेंचर की मैच्योरिटी 20 सितंबर 2027 होगी।
दूसरे राउंड की सीरीज में 10 लाख रुपये प्रति फेस वैल्यू के 15,000 NCD जारी किए जाएंगे, जिनकी कुल कीमल 1500 करोड़ होगी। यह डिबेंचर भी 20 सितंबर 2022 को ही जारी होगा लेकिन इसकी मैच्योरिटी डेट 20 सितंबर 2032 होगी।
क्या होता है NCD या नॉन कनवर्टिबल डिबेंचर?
NCD यानी नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर एक फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट होते हैं। इसका इस्तेमाल कंपनियां पब्लिक इश्यू के जरिए पैसा जुटाने के लिए करती हैं। NCD, IPO की तरह ही कंपनियों के लिए पैसा जुटाने का तरीका होता है। लेकिन कंपनी जब NCD के जरिए पैसा जुटाती है, तो इसे कर्ज की तरह लिया जाता है। इसलिए कंपनी द्वारा लिए गए कर्ज पर इंटरेस्ट पे करना होता है। NCD की एक फिक्स्ड मैच्योरिटी डेट होती है। इसमें इन्वेस्टर्स को एक निश्चित ब्याज दर के साथ रिटर्न मिलता है।
दो तरह के होते हैं NCD
NCD दो तरह के होते हैं, सिक्योर्ड NCD और अनसिक्योर्ड NCD। सिक्योर्ड NCD में कंपनी अगर इन्वेस्टर्स को उनका पैसा वापस नहीं कर पाती है तो निवेशक कंपनी के एसेट को बेचकर अपना पैसा वसूल सकते है। व हीं अनसिक्योर्ड NCD में अगर कंपनी निवेशकों को उनका पैसा नहीं लौटा पाती है तो ऐसे में निवेशकों को अपना पैसा वापस हासिल करने में थोड़ी परेशानी हो सकती है।
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