इस बीच, अखिलेश यादव की एक मुलाकात चर्चा में है। अखिलेश ने ये मुलाकात प्रयागराज हिंसा के आरोपी जावेद पंप के परिजनों से की है। दरअसल, बुधवार को जावेद पंप के बेटे उमाम और बेटी सुमैया ने लखनऊ में अखिलेश से मुलाकात की। ये मुलाकात करीब आधे घंटे चली। मुलाकात के दौरान सपा के प्रयागराज जिलाध्यक्ष योगेश चंद्र यादव भी मौजूद थे।
इस मुलाकात के बाद योगेश चंद्र ने कहा, ‘अखिलेश यादव ने जल्द ही विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल देवरिया जेल में बंद जावेद पंप से मिलने के लिए भेजने का फैसला लिया है। सपा अध्यक्ष ने जावेद पंप के बच्चों को भरोसा दिया है कि वह खुद भी देवरिया जेल जाकर उनसे मुलाकात करेंगे।’
अब सियासी गलियारे में इसकी चर्चा कि आखिर अखिलेश यादव देवरिया जेल में बंद हिंसा के आरोपी से क्यों मिलना चाहते हैं? जावेद पंप पर क्या आरोप हैं? इसके सियासी मायने क्या हैं? आइये जानते हैं…
जावेद पंप पर क्या आरोप हैं?
बीती 10 जून को प्रयागराज में जुमे की नमाज के बाद हिंसा भड़क गई थी। हिंसा भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के पैगम्बर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी के विरोध में निकले प्रदर्शन के दौरान हुई। पुलिस के मुताबिक, जावेद पंप इस हिंसा का मास्टरमांइड था। जावेद पंप वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया का प्रदेश महासचिव है। एक समय वह टुल्लू पंप का काम करता था। इसी से इसके नाम के आगे पंप जुड़ गया।
जावेद पंप से क्यों मिलना चाहते हैं अखिलेश?
इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, ‘विधानसभा चुनाव के बाद से मुस्लिम अखिलेश यादव से नाराज बताए जा रहे हैं। इस दौरान कई मुस्लिम नेता अखिलेश यादव का साथ छोड़ चुके हैं। कई नेता खुलकर अखिलेश के खिलाफ बयान भी दे चुके हैं। आजम खान भी करीब 27 महीने तक सीतापुर की जेल में बंद थे। तब एक बार भी अखिलेश यादव उनसे मिलने नहीं गए। इसको लेकर मुस्लिमों में नाराजगी बताई जाती है।’
प्रमोद कहते हैं, ‘अखिलेश अब पूरी तरह से मुसलमान वोटर्स को मनाने में जुटे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने प्रयागराज हिंसा के आरोपी जावेद पंप के बच्चों से मुलाकात की और भरोसा दिलाया कि जावेद से भी जाकर वह जेल में मिलेंगे। इसके जरिए वह मुसलमान वोटर्स को भरोसा दिलाना चाहते हैं कि समाजवादी पार्टी पूरी तरह से प्रदेश के मुसलमानों के साथ है।’
इसके सियासी मायने क्या हैं?
सभी एक्सपर्ट मानते हैं कि 2022 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं ने समाजवादी पार्टी के पक्ष में एकतरफा मतदान किया। चुनाव के बाद अखिलेश से मुस्लिम वर्ग की नाराजगी सामने आई। दूसरी ओर मायावती भी लगातार मुस्लिम वोटरों की साधने की कोशिश कर रही हैं। एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी भी लगातार अखिलेश पर मुस्लिम को सिर्फ वोट के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाते रहे हैं। ऐसे में अखिलेश नहीं चाहते कि 2022 में उनके साथ एकजुट हुआ मुस्लिम वोटर 2024 में उनसे छिटक जाए।
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