China: जब तक “मौत” नहीं आती तब तक चीन के राष्ट्रपति रहेंगे शी जिनपिंग, ‘नेशनल कांग्रेस’ पर पूरी दुनिया की निगाहें, क्या होगा इसमें?

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Chinese President Xi Jinping- India TV Hindi News

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Chinese President Xi Jinping

Highlights

  • चीन में होगी राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक
  • एक बार फिर देश के राष्ट्रपति बनेंगे शी
  • शी जिनपिंग ने हटाए थे अधिकतर प्रतिबंध

China Xi Jinping Elections: चीन में होने वाले सत्ता परिवर्तन के संबंध में दशकों से सही अनुमान लगाने वाले पत्रकार हो पिन का कहना है कि चाहे किसी को कोई भी पद मिले, लेकिन चीन की सत्ता इस बार भी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के हाथों में ही रहेगी। गौरतलब है कि दशक में एक बार होने वाली चीन की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक बैठक रविवार को शुरू होने वाली है, लेकिन इस बैठक से ऐन पहले न्यूयॉर्क के इस पत्रकार (हो पिन) का कहना है कि जिस प्रकार जिनपिंग ने सत्ता पर अपना नियंत्रण जमा लिया है, उसे देखते हुए अधिक कुछ कहने को रह नहीं जाता है। 

उन्होंने कहा, ‘कौन स्थाई समिति का हिस्सा बनने वाला है, इससे किसी का कोई लेना-देना नहीं है।’ उन्होंने यह बात उन लोगों का संदर्भ देते हुए कही, जिन्हें अगले पांच साल के लिए कम्युनिस्ट पार्टी का नेतृत्व करने के लिए चुना जा सकता है। हो पिन का कहना है, ‘कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कौन हैं, सभी में एक बात समान है, वे सभी शी की सुनते हैं।’ पुराने दिनों के मुकाबले यह बहुत बड़ा बदलाव है क्योंकि पहले इस चुनाव के दौरान या उससे पहले मतभेद रखने वाला पार्टी का गुट विदेशी मीडिया में अपने विरोधियों के बारे में सूचनाएं लीक किया करता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है।

कब राष्ट्रपति चुने गए थे शी?

दस साल पहले शी के राष्ट्रपति चुने जाने से ठीक पहले चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के कांग्रेस से पहले पूरे देश में तमाम राजनीतिक विवाद और घोटाले सामने आए थे। सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण घटना थी, उस दौर के महत्वपूर्ण राजनीतिक हस्ती बो शिलाई की पत्नी द्वारा एक ब्रिटिश उद्योगपति की हत्या। घटना के बाद बो को पार्टी से निकाल दिया गया था और रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई। इसके साथ ही शी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी का राजनीतिक करियर समाप्त हो गया।

पुराने दिनों की तुलना में इस साल होने वाली पार्टी कांग्रेस को लेकर कहीं कोई शोर नहीं है। पत्रकार हो का कहना है कि गुटवाद, बहुलतावाद और खुला राजनीतिक मतभेद सबकुछ खत्म हो चुका है, जो कभी चीन की एकल पार्टी प्रणाली का हिस्सा हुआ करता था। उन्होंने कहा, ‘चीन की राजनीति में एक बिलकुल नया अध्याय शुरू हो रहा है।’ गौरतलब है कि 1949 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना करने वाले अध्यक्ष माओ त्से तुंग के जमाने में भी प्रतिद्वंद्वी गुट हुआ करते थे। उनके शासनकाल में कई राजनेताओं को हटाया गया, फिर वापस लाया गया और फिर हटाया गया। माओ ने अपनी ताकत बढ़ाने के लिए गुटों के बीच मतभेद को बढ़ावा भी दिया।

शी ने पाबंदियों को समाप्त कर दिया

उनकी मृत्यु के बाद देंग शाओपिंग ने बहुत हद तक चीजों में ढील दी, जिससे तेजी से देश का आर्थिक विकास हुआ और कुछ हद तक उदारवाद भी आया। उन्होंने पार्टी के नेताओं के कार्यकाल और आयु दोनों के लिए अधिकतम सीमा तय की, ताकि देश में फिर से कोई माओ की तरह अत्यंत शक्तिशाली ना हो जाए। लेकिन, मौजूदा राष्ट्रपति शी ने इन नियमों को धत्ता बताया और इन पाबंदियों को काफी हद तक समाप्त कर दिया। उन्होंने ना सिर्फ स्थाई समिति के लिए उत्तराधिकारी को नामित करना बंद कर दिया बल्कि चीन के राष्ट्रपति पद के लिए तय दो कार्यकाल (पांच-पांच साल) की पाबंदी को भी समाप्त कर दिया। इस बदलाव के बाद शी तीसरी बार भी देश के राष्ट्रपति चुने जा सकते हैं और अगर वह चाहें तो जीवन पर्यंत इस पद पर रह सकते हैं।

पत्रकार हो पिन का कहना है कि इस बदलाव के कारण नई नियुक्तियों के बारे में अंदाजा लगाना और मुश्किल हो गया है। पुराने नियम प्रभावी रहते हुए पत्रकार हो अधिकारियों की उम्र, शिक्षा, कामकाज के अनुभव और अन्य नेताओं के साथ उनके संबंधों आदि के आधार पर 2002 से अभी तक चार बार चीन में नेतृत्व बदलाव का सही अंदाजा लगाने में सफल रहे हैं। लेकिन अब उनका कहना है कि नए नेतृत्व को संभवत: शी खुद चुनेंगे और चुनाव का आधार उनकी वफादारी और योग्यता होगी। 

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