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Explainer : धीरेंद्र कृष्‍ण शास्‍त्री के ‘चमत्कार’ नहीं, NLP से मिलता है हर सवाल का जवाब


नई दिल्‍ली: मध्य प्रदेश के स्वयंभू बाबा धीरेंद्र कृष्‍ण शास्‍त्री इन दिनों चर्चा में हैं। टीवी पर अनुयायियों के ‘मन की बात’ जान लेने वाले उनके वीडियोज खूब दिखाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनकी क्लिप्‍स वायरल हैं। बाबा मंच पर अनुयायियों को बुलाते हैं। उनसे मंत्र पढ़ने को कहते हैं और एक कागज पर कुछ लिखते हैं। फिर वह उनसे उनकी समस्याओं के बारे में पूछते हैं। आखिर में वह कागज पर लिखा सबको दिखाते हैं। समस्‍या और उसका हल बाबा ने पहले ही कागज पर लिख दिया था! बाबा और उनके अनुयायी दावा करते हैं कि यह ‘चमत्कार’ है, वर्षों की साधना का परिणाम है। टीवी पर ही बाबा धीरेंद्र कृष्‍ण शास्‍त्री को कुछ माइंड रीडर्स ने चुनौती दी। इनमें दिल्‍ली के करन सिंह भी एक हैं। टीवी डिबेट के दौरान बाबा के दावों की पोल खोलने के बाद से उनके इनबॉक्स में गालियों की भरमार हो गई है। करन उन चुनिंदा लोगों में से हैं जो ऐसे धर्मगुरुओं के दावों को चुनौती पेश कर रहे हैं। आखिर करन जैसे माइंड रीडर या बाबा धीरेंद्र कृष्‍ण शास्‍त्री जैसे लोग कैसे पता करते हैं कि सामने वाले के मन में क्या चल रहा है। यकीन मानिए, यह कोई ‘चमत्कार’ नहीं है।

कैसे होते हैं ये ‘चमत्‍कार’, क्‍या है मेंटलिज्‍म?
करन सिंह के अलावा सुहानी शाह ने भी लाइव टीवी पर ऐंकर्स के बच्‍चों के नाम बता दिए। ऑडियंस में बैठे लोगों के रिश्‍तेदारों की समस्‍याएं बताईं। हालांकि, यह सब करते हुए उन्‍होंने एक बात बार-बार दोहराई- वे कोई महामानव नहीं। उनकी ये सारी ट्रिक्‍स मेंटलिज्‍म या मनोविश्‍लेषण का हिस्‍सा हैं। यह एक तरह की परफॉर्मिंग आर्ट है जिसमें माइंड रीडिंग जैसी चीजों पर फोकस रहता है। बहुत सारे ड्रामा के साथ मैजिक ट्रिक्‍स और साइकोलॉजिकल एलिमेंट्स भी डाले जाते हैं। लोगों के बॉडी मूवमेंट्स, विजुअल क्‍यू यहां तक कि कुछ पूछने पर प्रतिक्रिया में हल्‍के से बदलाव को भी नोटिस किया जाता है। मेंटलिस्‍ट्स का दावा है कि यह आर्ट का काफी साइकोलॉजिकल रूप है। ज्‍यादातर मेंटलिस्‍ट्स खुद से सीखे होते हैं लेकिन वे भी काफी हद तक न्‍यूरो-लिंविस्‍टक प्रोग्रामिंग (NLP) पर निर्भर होते हैं।

मैं किसी के विश्‍वास पर सवाल नहीं उठा रहा। मैं बस यह कह रहा हूं कि आपको किसी का अंधभक्‍त नहीं बनना चाहिए। आपको सवाल पूछने चाहिए।

करन सिंह, माइंड रीडर और मेंटलिस्‍ट

क्या है NLP?
NLP में दिमाग की लैंग्वेज को समझने पर जोर दिया जाता है, खासतौर से विजुअल क्यू पर फोकस रखते हुए। अक्षय कुमार एक ट्रेन्‍ड साइकोलॉजिस्ट हैं और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल (ICMR) में सीनियर रिसर्च फेलो हैं। उन्होंने हमारे सहयोगी ‘टाइम्‍स ऑफ इंडिया’ से कहा, ‘अगर मैं आपसे कहूं कि गन के बारे में सोचिए तो आप उस शब्द के लेटर्स के बारे में तो नहीं सोचेंगे, आप उसे विजुअलाइज करेंगे। आप भाषा कोई भी बोलते होंगे लेकिन जब आप सोचते हैं तो तस्‍वीरों में सोचते हैं।’ NLP ट्रेनिंग में ऐसे ही विजुअल क्यू पकड़ने पर जोर दिया जाता है। आमतौर पर एक मेंटलिस्ट सवाल पूछता है या कुछ करने को कहता है जिससे लोगों के दिमाग में जवाबी तस्वीर उभरती है। वे शरीर और चेहरे में बदलाव से भांप लेते हैं और जवाब बताते हैं।

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आंखें बता देती हैं बहुत कुछ
मेंटलिस्‍ट्स को छोटे से छोटा बदलाव पकड़ने की ट्रेनिंग मिलती है। कुमार के अनुसार, दिमाग में कुछ चल रहा होता है तो आंखें अलग-अलग दिशा में मूव करती हैं। अगर कोई अतीत का कुछ याद कर रहा है तो आंखें टॉप राइट कॉनर की तरफ चली जाती हैं। अगर कोई घटना याद की जा रही हो तो आंखें टॉप लेफ्ट में चली जाती हैं। अगर कोई पुरानी आवाज याद करने की कोशिश हो तो आंखें दाहिनी ओर शिफ्ट हो जाती हैं। बॉटम राइट की तरफ आंखों का झुकाव बतलाता है कि खुद से बातचीत चल रही है। इंसान यह सब अनजाने में करता है, मेंटलिस्‍ट्स ऐसी ही चीजों को पकड़ते हैं।

बेंगलुरु के मेंटलिस्‍ट नरपत रमन को परफॉर्म करते हुए 11 साल से ज्‍यादा हो गए। उनपर कई बार लोगों ने काला जादू करने का आरोप लगाया। अब वे अपनी परफॉर्मेंस शुरू करते हुए डिस्‍क्‍लेमर देते हैं, ‘मेरे सारे शोज की पहली लाइन होती है कि आप जो देखने वाले हैं वो सच नहीं है। फिर मैं कुछ ऐसा क्रिएट करता हूं जो जेनुइन माइंड रीडिंग जैसा दिखता और लगता है।’ रमन कहते हैं कि यह कोई फिल्‍म देखने जैसा है।



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