Mohan Bhagwat: संघ की प्रार्थना हर घर में गूंजने के क्या हैं सियासी मायने, भाजपा को इससे कितना फायदा?

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस  प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि 2025 में संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। संघ की योजना है कि आरएसएस की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर देश के हर घर में संघ की प्रार्थना यानी नमस्ते सदा वत्सले का गान हो। भागवत ने मंगलवार को कानपुर में आयोजित संघ की प्रांत और विभाग टोलियों की बैठक में ये बातें कहीं। 

 

अब सवाल उठता है कि ऐसा करने से क्या फायदा होगा? संघ की इस योजना का भारतीय जनता पार्टी पर क्या असर पड़ेगा? इसके राजनीतिक मायने क्या हैं? आइए समझते हैं… 

 

पहले जानिए संघ प्रमुख ने क्या कहा? 

बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के स्वयंसेवकों से समाज के हर व्यक्ति से संपर्क कर उसे संघ के विषय में बताने के लिए कहा। बोले, कोई भी घर और व्यक्ति छूटना नहीं चाहिए। प्रत्येक मोहल्ले, बस्तियों, गांवों में शाखाओं की संख्या बढ़ाया जाए। ताकि 2025 तक हर घर में संघ की प्रार्थना हो। 

 

सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में संघ प्रमुख ने बंद पड़ी संघ की शाखाओं को फिर से शुरू करने पर जोर दिया। कहा, ‘जिन स्थानों पर शाखाएं बंद पड़ी हैं, उसे फिर से शुरू किया जाए। वाल्मीकि बस्ती के लोगों को ज्यादा से ज्यादा संघ से जोड़ा जाए। इसके लिए स्वयंसेवक विशेष संपर्क अभियान चलाएं। शहरी क्षेत्रों के अलावा गांव के लोगों को भी संघ से जोड़ा जाए।’ 

 

मोहन भागवत ने और क्या-क्या कहा? 

  • लोगों को संघ के विषय में बताया जाए। 
  • सेवा, संस्कार, समरसता जैसे कार्यक्रम किए जाएं। 
  • अच्छे साहित्य का प्रकाशन कर उसका वितरण हो। 
  • समाज के प्रत्येक वर्ग के बीच जाकर उन्हें संघ से जोड़ें। 
  • प्रत्येक परिवार संस्कारित हो, परिवार की परिभाषा में चाचा-चाची, दादा-दादी भी शामिल होने चाहिए। 
  • परिवार के सभी लोग दिन में एक बार साथ में बैठकर भोजन जरूर करें। 
  • समाज और लोगों के बीच आपस में सद्भावना और संवेदना हो। 

आरएसएस की योजना के सियासी मायने क्या हैं? 

इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, ‘संघ के स्वयंसेवक बिना शोरगुल के समाज के बीच रहते हुए काम करते हैं। करीब दो करोड़ लोग संघ के स्वयंसेवक हैं। 2014 और फिर 2019 में संघ के स्वयंसेवकों ने भाजपा की जीत में अहम योगदान किया। या यूं कहें कि भाजपा की जीत के पीछे संघ का बड़ा योगदान है, तो गलत नहीं होगा।’

 

प्रमोद आगे बताते हैं, ‘संघ प्रमुख मोहन भागवत इन दिनों RSS से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने में जुटे हैं। विपक्ष हमेशा संघ को कट्टर हिंदूवादी संगठन बताता रहा है। इसी छवि को मोहन भागवत बदलने में जुटे हैं। वह अल्पसंख्यक वर्ग खासतौर पर मुसलमानों को भरोसा दिलाने में जुटे हैं कि संघ राष्ट्रवादी संस्थान है। संघ किसी भी वर्ग और धर्म के प्रति नफरत नहीं रखता है।’

 

वह आगे कहते हैं, पिछले दिनों मोहन भागवत ने दलितों के साथ होने वाले भेदभाव को खत्म करने के लिए भी आह्वान किया था। इसका भी एक बड़ा संदेश गया है। कुल मिलाकर भागवत अगले तीन वर्षों में 50-70 करोड़ लोगों को संघ से जोड़ने की योजना पर काम कर रहे हैं। खासतौर पर छोटे बच्चों को संघ की शाखाओं में लाने की कोशिश है। 

 

भाजपा को क्या फायदा हो सकता है? 

प्रमोद बताते हैं अगर 10 से 15 साल के उम्र के एक करोड़ बच्चे भी हर साल संघ की शाखा से जुड़ जाते हैं तो इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा। संघ अपनी इस योजना से भाजपा के लिए भविष्य के वोटर्स तैयार कर देगी। पिछले दो साल के अंदर कई बार पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बोल चुके हैं कि अगले 50 साल तक केंद्र में भाजपा की सरकार बनी रहेगी। भाजपा की इस रणनीति में संघ की सबसे अहम भूमिका है।  

 

 



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