दूसरे-तीसरे नंबर पर राजस्थान और महाराष्ट्र बोर्ड
इस बार भी सीबीएसई ने 650 या उससे अधिक अंक लाने वाले 55.3% सफल परीक्षार्थियों के साथ अपना पारंपरिक दबदबा इस वर्ष भी बरकरार रखा है। हालांकि, 700 या उससे ज्यादा अंक लाने वाले बच्चों की संख्या के मामले में वह इस बार पिछले तीन साल के न्यूनतम स्तर पर जरूर आ गया है। 650 या इससे अधिक नंबर लाने वाले कुल 4,681 उम्मीदवारों में 2,591 अकेले सीबीएसई के हैं। इस रेंज में 8.1 प्रतिशत बच्चों के साथ राजस्थान दूसरे जबकि 5.6 प्रतिशत के साथ महाराष्ट्र तीसरे नंबर पर रहा।
400 अंक वाले रेंज में महाराष्ट्र का प्रदर्शन सुधरा
अगर 600 या इससे अधिक अंक पाने वाले कैंडिडेट्स की बात करें तो इस वर्ष सीबीएसई की हिस्सेदारी घटकर 50.4 प्रतिशत रह गई जबकि राजस्थान की हिस्सेदारी 11.4 प्रतिशत बढ़ गई। सीबीएसई, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात- इन पांच बोर्ड के 73.6 प्रतिशत बच्चों ने नीट-यूजी 2022 में 600 या उससे अधिक अंक पाए। 400 या उससे अधिक अंक लाने वाले बच्चों की संख्या के मामले में इस बार राजस्थान बोर्ड के साथ-साथ सीबीएसई को भी अच्छा-खासा झटका लगा है। वहीं, महाराष्ट्र और अन्य स्टेट बोर्ड की इस रेंज में हिस्सेदारी बढ़ी है।
इन बोर्ड्स के 50% से ज्यादा बच्चे सफल
सीबीएसई को लेकर यह कहा जा सकता है कि इसकी सफलता दर बेहतर है। इस बोर्ड के 4 लाख से ज्यादा बच्चों ने नीट-यूजी परीक्षा 2022 में भाग लिया था। यह संख्या लिस्ट में दूसरे नंबर पर रहे महाराष्ट्र के कुल बच्चों की संख्या के मुकाबले दोगुनी है। जिन राज्यों के बोर्ड से 1 लाख से अधिक बच्चों ने नीटी-यूजी परीक्षा दी थी, उनमें उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल शामिल हैं। इन बोर्ड से नीट देने वाले आधे से ज्यादा बच्चों को सफलता हासिल हुई। वहीं, सीबीएसई अपने 70 प्रतिशत सफल बच्चों के साथ इस लिस्ट में शीर्ष पर रहा है। सीआईसीए, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना बोर्ड के भी 60-60 प्रतिशत कैंडिडेट्स को सफलता मिली है।
इस बार 700 या ज्यादा अंक लाने वाले बच्चों की संख्या घटी
कुल 99 बच्चों ने 700 या उससे अधिक अंक हासिल किए हैं। पिछले वर्ष 2021 में 203 और दो साल पहले 2020 में 111 बच्चों ने 700 या उससे अधिक अंक प्राप्त किए थे। हालांकि, 600 या उससे अधिक अंक पाने वाले बच्चों की संख्या इस बार 21,136 रही जो 2021 में 19,135 थी। वहीं, 500 या उससे ज्यादा अंक हासिल करने वाले बच्चों की संख्या पिछले वर्ष के 85,022 के मुकाबले इस वर्ष घटकर 84,236 रही। 2020 में यह संख्या 87,093 थी। यानी लगातार दो वर्षों से इस रेंज के नंबर लाने वाले बच्चों की संख्या में गिरावट आ रही है। 450 या उससे अधिक नंबर लाने वाले 63 प्रतिशत बच्चे दिल्ली, राजस्थान, यूपी, महाराष्ट्र, केरल, बंगाल और तमिलनाडु से हैं।
इस बार सरकारी संस्थानों में करीब 43 हजार सीटें
450 या उससे अधिक अंक लाने से काउंसलिंग में भाग लेने और कॉलेजों में एडमिशन का मौका पाने का चांस ज्यादा रहता है। 400 या इससे अधिक अंक पाने वाले कुल 1.79 लाख बच्चों में करीब 90 प्रतिशत 15 राज्यों से हैं जबकि केरल, कर्नाटक, बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, यूपी और राजस्थान को मिलाकर कुल सात बोर्ड के हिस्से 58.3 प्रतिशत सफलता हाथ लगी। इस वर्ष करीब 83 हजार एमबीबीएस और 40 हजार बीडीएस सीटें हैं। दिल्ली एम्स और जेआईपीएमईआर समेत तमाम सरकारी संस्थानों में करीब 43 हजार सीटें हैं।
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