SCO Summit: एससीओ की शिखर बैठक आज से, यूक्रेन पर हमले के बाद पहली बार आमने-सामने मिलेंगे पीएम मोदी-पुतिन


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उज्बेकिस्तान में आज से शुरू होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे। यूक्रेन जंग छिड़ने के बाद दोनों की आमने-सामने की यह पहली बैठक होगी।

इस दौरान रणनीतिक स्थायित्व, एशिया प्रशांत क्षेत्र की स्थिति, संयुक्त राष्ट्र और जी-20 देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा होगी। बैठक से पहले क्रेमलिन ने यह जानकारी दी है। दोनों नेता की मुलाकात समरकंद में 15-16 सितंबर तक आयोजित होने वाले एससीओ राष्ट्राध्यक्षों के 22वें सम्मेलन के इतर होगी। रूसी सरकारी समाचार एजेंसी तास ने राष्ट्रपति के सहायक अधिकारी यूरी उशाकोव के हवाले से बताया, इस मुलाकात में वैश्विक एजेंडे पर भी मोदी के साथ बातचीत होगी। दोनों पक्ष रणनीतिक स्थायित्व, एशिया प्रशांत क्षेत्र की स्थिति और संयुक्त राष्ट्र, जी-20 समेत जैसे बड़े बहुपक्षीय संगठनों में द्विपक्षीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

उशाकोव ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा, यह वार्ता खासतौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत दिसंबर में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष होगा और 2023 में एससीओ का नेतृत्व करने के अलावा जी-20 समूह का भी अध्यक्ष होगा। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय ने फिलहाल मोदी-पुतिन के बीच बैठक की पुष्टि नहीं की है। रविवार को मंत्रालय ने पीएम के दौरे की घोषणा कर कहा था कि वह एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर कुछ द्विपक्षीय बैठकों में हिस्सा ले सकते हैं। इससे पहले, पुतिन और मोदी ने एक जुलाई को फोन पर बात की थी। इस दौरान उन्होंने दिसंबर 2021 दौरे के दौरान लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन की समीक्षा की। यूक्रेन पर हमले के बाद भी 24 फरवरी को मोदी और पुतिन के बीच बात हुई थी।

मध्य एशियाई देशों से आर्थिक रिश्तों पर नजर
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समरकंद में विभिन्न देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोजेव के साथ उनकी अलग से बैठक होनी है। इस दौरान द्विपक्षीय रिश्तों पर बातचीत होगी। उज्बेकिस्तान में भारतीय राजदूत मनीष प्रभात ने बताया कि एससीओ देशों के बीच आर्थिक सहयोग महत्वपूर्ण है।

भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलाने का मौका : हुर्रियत कॉन्फ्रेंस
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने बुधवार को कहा कि एससीओ की बैठक में भाग लेने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी जाएंगे। यह दोनों देशों के लिए अपने रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलाने और आपसी मतभेद दूर करने का मौका है।

एक बयान में हुर्रियत ने कहा, भारत-पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों को समरकंद में एक-दूसरे से बातचीत कर सभी मतभेद सुलझाने चाहिए और कश्मीर विवाद समेत सभी लंबित मुद्दों के समाधान की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। संगठन कहता रहा है कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति और इसे दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख बनाने के बाद हालात बिगड़े हैं। यह सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई, जेल भेजे गए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, युवाओं और पत्रकारों को छोड़ने की मांग उठाता रहा है। इसकी मांग अगस्त 2019 से घर में रोके गए अपने चेयरमैन मीरवाइज उमर फारुक को रिहा करने की भी है।

कोविड के बाद पहली बार व्यक्तिगत रूप से मिलेंगे मोदी, शी और पुतिन
एससीओ की बैठक में कोविड के प्रकोप के बाद दुनिया के आठ राष्ट्राध्यक्ष व्यक्तिगत रूप से शामिल होंगे। 15-16 सितंबर को प्रस्तावित बैठक से इतर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से आमने-सामने वार्ता करेंगे।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बैठक में शिरकत करने की घोषणा काफी बाद में हुई। दो साल से ज्यादा समय बाद यह पहला मौका होगा, जब शी चीन से बाहर जाएंगे। जनवरी-2020 के बाद से वह कजाखिस्तान की पहली आधिकारिक यात्रा भी करेंगे और वहीं से पड़ोसी देश उज्बेकिस्तान जाएंगे। चीन ने उनके कार्यक्रम को गुप्त रखा है और बैठक से इतर उनके मोदी या पुतिन से मिलने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।

इस बैठक से ठीक पहले चीन ने भारत के पूर्वी लद्दाख में पेट्रोल प्वाइंट (पीपी) 15 के गोगरा और हॉट स्प्रिंग से सेवाएं हटाई हैं। इससे माना जा रहा है कि मोदी और शी की बैठक हो सकती है। समरकंद में ईरान को औपचारिक रूप से संगठन में प्रवेश दिया जाएगा। भारत और पाकिस्तान इसमें 2017 में पूर्ण सदस्य बने थे। औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ईरान भारत में होने वाली अगली बैठक में भाग लेगा।

सैन्य संघर्घ में उलझे अजरबैजान-आर्मेनिया के राष्ट्राध्यक्ष भी आएंगे
अधिकारियों के मुताबिक, समरकंद बैठक में ईरान, मंगोलिया, तुर्कमेनिस्तान और इन दिनों भीषण सैन्य संघर्ष में उलझे अजरबैजान व आर्मेनिया के राष्ट्राध्यक्ष भी आएंगे। इससे बैठक का महत्व और बढ़ गया है। एससीओ की पिछली बैठक 2019 में किर्गिस्तान के बिश्केक में हुई थी। कोविड के कारण 2020 की मॉस्को बैठक वर्चुअली हुई। 2021 की दुशांबे बैठक हाईब्रिड मोड में हुई थी। एससीओ की स्थापना जून 2021 में हुई थी। इसमें छह स्थायी सदस्य चीन, कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान थे।

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उज्बेकिस्तान में आज से शुरू होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे। यूक्रेन जंग छिड़ने के बाद दोनों की आमने-सामने की यह पहली बैठक होगी।

इस दौरान रणनीतिक स्थायित्व, एशिया प्रशांत क्षेत्र की स्थिति, संयुक्त राष्ट्र और जी-20 देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा होगी। बैठक से पहले क्रेमलिन ने यह जानकारी दी है। दोनों नेता की मुलाकात समरकंद में 15-16 सितंबर तक आयोजित होने वाले एससीओ राष्ट्राध्यक्षों के 22वें सम्मेलन के इतर होगी। रूसी सरकारी समाचार एजेंसी तास ने राष्ट्रपति के सहायक अधिकारी यूरी उशाकोव के हवाले से बताया, इस मुलाकात में वैश्विक एजेंडे पर भी मोदी के साथ बातचीत होगी। दोनों पक्ष रणनीतिक स्थायित्व, एशिया प्रशांत क्षेत्र की स्थिति और संयुक्त राष्ट्र, जी-20 समेत जैसे बड़े बहुपक्षीय संगठनों में द्विपक्षीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

उशाकोव ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा, यह वार्ता खासतौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत दिसंबर में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष होगा और 2023 में एससीओ का नेतृत्व करने के अलावा जी-20 समूह का भी अध्यक्ष होगा। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय ने फिलहाल मोदी-पुतिन के बीच बैठक की पुष्टि नहीं की है। रविवार को मंत्रालय ने पीएम के दौरे की घोषणा कर कहा था कि वह एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर कुछ द्विपक्षीय बैठकों में हिस्सा ले सकते हैं। इससे पहले, पुतिन और मोदी ने एक जुलाई को फोन पर बात की थी। इस दौरान उन्होंने दिसंबर 2021 दौरे के दौरान लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन की समीक्षा की। यूक्रेन पर हमले के बाद भी 24 फरवरी को मोदी और पुतिन के बीच बात हुई थी।

मध्य एशियाई देशों से आर्थिक रिश्तों पर नजर

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समरकंद में विभिन्न देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोजेव के साथ उनकी अलग से बैठक होनी है। इस दौरान द्विपक्षीय रिश्तों पर बातचीत होगी। उज्बेकिस्तान में भारतीय राजदूत मनीष प्रभात ने बताया कि एससीओ देशों के बीच आर्थिक सहयोग महत्वपूर्ण है।

भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलाने का मौका : हुर्रियत कॉन्फ्रेंस

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने बुधवार को कहा कि एससीओ की बैठक में भाग लेने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी जाएंगे। यह दोनों देशों के लिए अपने रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलाने और आपसी मतभेद दूर करने का मौका है।

एक बयान में हुर्रियत ने कहा, भारत-पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों को समरकंद में एक-दूसरे से बातचीत कर सभी मतभेद सुलझाने चाहिए और कश्मीर विवाद समेत सभी लंबित मुद्दों के समाधान की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। संगठन कहता रहा है कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति और इसे दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख बनाने के बाद हालात बिगड़े हैं। यह सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई, जेल भेजे गए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, युवाओं और पत्रकारों को छोड़ने की मांग उठाता रहा है। इसकी मांग अगस्त 2019 से घर में रोके गए अपने चेयरमैन मीरवाइज उमर फारुक को रिहा करने की भी है।

कोविड के बाद पहली बार व्यक्तिगत रूप से मिलेंगे मोदी, शी और पुतिन

एससीओ की बैठक में कोविड के प्रकोप के बाद दुनिया के आठ राष्ट्राध्यक्ष व्यक्तिगत रूप से शामिल होंगे। 15-16 सितंबर को प्रस्तावित बैठक से इतर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से आमने-सामने वार्ता करेंगे।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बैठक में शिरकत करने की घोषणा काफी बाद में हुई। दो साल से ज्यादा समय बाद यह पहला मौका होगा, जब शी चीन से बाहर जाएंगे। जनवरी-2020 के बाद से वह कजाखिस्तान की पहली आधिकारिक यात्रा भी करेंगे और वहीं से पड़ोसी देश उज्बेकिस्तान जाएंगे। चीन ने उनके कार्यक्रम को गुप्त रखा है और बैठक से इतर उनके मोदी या पुतिन से मिलने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।

इस बैठक से ठीक पहले चीन ने भारत के पूर्वी लद्दाख में पेट्रोल प्वाइंट (पीपी) 15 के गोगरा और हॉट स्प्रिंग से सेवाएं हटाई हैं। इससे माना जा रहा है कि मोदी और शी की बैठक हो सकती है। समरकंद में ईरान को औपचारिक रूप से संगठन में प्रवेश दिया जाएगा। भारत और पाकिस्तान इसमें 2017 में पूर्ण सदस्य बने थे। औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ईरान भारत में होने वाली अगली बैठक में भाग लेगा।

सैन्य संघर्घ में उलझे अजरबैजान-आर्मेनिया के राष्ट्राध्यक्ष भी आएंगे

अधिकारियों के मुताबिक, समरकंद बैठक में ईरान, मंगोलिया, तुर्कमेनिस्तान और इन दिनों भीषण सैन्य संघर्ष में उलझे अजरबैजान व आर्मेनिया के राष्ट्राध्यक्ष भी आएंगे। इससे बैठक का महत्व और बढ़ गया है। एससीओ की पिछली बैठक 2019 में किर्गिस्तान के बिश्केक में हुई थी। कोविड के कारण 2020 की मॉस्को बैठक वर्चुअली हुई। 2021 की दुशांबे बैठक हाईब्रिड मोड में हुई थी। एससीओ की स्थापना जून 2021 में हुई थी। इसमें छह स्थायी सदस्य चीन, कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान थे।



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