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कंबल ने बचा ली इस बच्ची की जान
इस बच्ची के पिता ने बताया कि मेरी बेटी पवनुत सुपोलवॉन्ग जिसे हम एमी के नाम से बुलाते हैं, वह आमतौर पर बहुत कच्ची नींद सोती है। लेकिन गुरुवार को जब हत्यारा नर्सरी में घुस गया और 22 बच्चों की हत्या करना शुरू कर दिया, तो एमी अपने चेहरे को ढके हुए कंबल में सो रही थी। इससे हमलावर की नजर उस पर नहीं पड़ी और बच्ची की जान बच गई। इस नर्सरी में वह जिंदा बचने वाली इकलौती बच्ची है। एमी की मां पनोमपई सिथोंग ने कहा कि मैं अब तक सदमे में हूं। मैं दूसरे परिवारों के लिए भारी दुख महसूस कर रही हूं, … पर मुझे खुशी है कि मेरी बच्ची बच गई। यह दुख और कृतज्ञता की मिली-जुली भावना है।
पूरी नर्सरी में जिंदा बचने वाली इकलौती मासूम
रविवार को इस इकलौती बची बच्ची के घर रिश्तेदारों की भीड़ लगी हुई थी। हर कोई बच्ची के सुरक्षित बचने पर खुश था, लेकिन इस हत्याकांड में मारे गए दूसरे बच्चों के परिवारवालों को लेकर उन्हें दुख भी था। एमी के माता-पिता ने कहा कि ऐसा लगता है कि उन्हें इस त्रासदी की कोई याद नहीं है। हत्यारे के जाने के बाद, किसी ने उसे क्लासरूम के एक दूर कोने में हिलते-डुलते पाया। घटनास्थल पर मौजूद लोग इस बच्ची के सिर को कंबल से ढंककर क्लास से बाहर लेकर गए, ताकि वह अपने दोस्तों के शव को न देख सके।
बच्ची के कमरे में 11 बच्चों की हुई थी मौत
पुलिस के अनुसार, जिन 22 बच्चों की चाकू मारकर हत्या की गई, उनमें से 11 की मौत उस कक्षा में हुई, जहां वह सो रही थी। सिर में गंभीर चोट के साथ दो अन्य बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। रविवार दोपहर को परिवार ने एक बौद्ध भिक्षु के साथ बच्ची के लिए प्रार्थना भी की। भिक्षु ने बच्ची की कलाई पर सफेद धागा बांधकर उसके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। यह दुख में डूबे उस शहर के लिए एक खुशी का पल था।
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