भारत को दूसरे देशों की हरित हाइड्रोजन नीतियों के मद्देनजर अपनी नीति बनानी होगी

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भाषा / नई दिल्ली October 11, 2022






भारत को हरित हाइड्रोजन विनिर्माण के क्षेत्र में अग्रणी स्थान बनाने के लिए विभिन्न देशों की प्रतिस्पर्धी नीतियों को ध्यान में रखते हुए फैसले करने होंगे। उद्योगपति सुमंत सिन्हा ने मंगलवार को यह बात कही। 

उन्होंने कहा कि भारत को नयी ऊर्जा का वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने के लिए गतिशील नीतियों की जरूरत होगी। रिन्यू पावर के चेयरमैन सिन्हा ने राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार इस बारे में जो कदम उठा रही है, उनके बारे में कुछ समय में पता चल जाएगा। 

केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने सितंबर में पीटीआई-भाषा को बताया था कि मिशन दस्तावेज को अंतिम रूप दिया जा रहा है और अगले एक-दो माह में इसे जारी किए जाने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन शुरू करने की घोषणा की थी। 

इस मिशन का मकसद जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने और भारत को हरित हाइड्रोजन का केंद्र बनाने में मदद करना है। 

सिन्हा ने कहा, ‘‘हम जल्द ही जान जाएंगे कि सरकार इस संबंध में क्या सोच रही है, लेकिन स्पष्ट रूप से इस क्षेत्र में, स्थिर नीतियां नहीं हो सकती हैं। हमने देखा है कि दूसरे देश अपनी नीतियों को काफी तेजी से बदल रहे हैं। और इसलिए अगर हम हरित हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में निर्यात केंद्र के रूप में प्रतिस्पर्धी बनना चाहते हैं तो भारत को भी प्रतिक्रियात्मक होना होगा।” उन्होंने एसोचैम के अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा शिखर सम्मेलन ‘ट्रांजिशनिंग टुवर्ड्स ग्रीन इकनॉमी’ के मौके पर यह टिप्पणी की। सिन्हा एसोचैम के अध्यक्ष भी हैं। 

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