समरकंद में पीएम मोदी और पुतिन की मुलाकात भी होनी है। कयास लगाए जा रहे हैं कि पीएम मोदी और जिनपिंग भी बैठक कर सकते हैं। अगले साल भारत एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा जिस पर चीन ने भारत को बधाई दी है और जिनपिंग ने भारत की अध्यक्षता का समर्थन करने की भी बात कही है। इस शिखर सम्मेलन के बाद कई देशों के बीच रिश्तों के समीकरण बदल सकते हैं जिनमें सबसे प्रमुख भारत और चीन हैं। चीन के रणनीतिक जानकारी और राजनीतिक नेतृत्व पीएम मोदी को राजनीतिक रूप से बुद्धिमान व्यक्ति के तौर पर देखते हैं। उनका मानना है कि पीएम मोदी प्रमुख शक्तियों के साथ संबंधों को संतुलित करके भारत के राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाते रहते हैं।
एक मंच पर बाइडन के दोनों दुश्मन
जिनपिंग और पुतिन की मुलाकात भी शिखर सम्मेलन का एक बड़ा घटनाक्रम है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से दोनों के बीच यह पहली फेस-टू-फेस मुलाकात है। चीन उन देशों में शामिल है जो पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच रूस का समर्थन कर रहा है। बदले में पुतिन ने भी रूस की ‘एक चीन नीति’ का समर्थन किया है। हाल ही में दोनों देशों की सेनाओं ने वोस्तोक 2022 सैन्य अभ्यास में हिस्सा लिया था। पुतिन और जिनपिंग की मुलाकात ऐसे समय पर हो रही है जब दोनों ही नेताओं का अमेरिका के साथ तनाव चरम पर है।
जिनपिंग और शहबाज शरीफ की मुलाकात
जिनपिंग ने एससीओ समिट में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय मामलों पर चर्चा की। शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, जिनपिंग ने कहा कि चीन और पाकिस्तान पहाड़ों और नदियों से लेकर घनिष्ठ पड़ोसी हैं। दोनों के भविष्य भी जुड़े हुए है। चीन को पाकिस्तान का दोस्त बताते हुए शरीफ ने कहा कि उनका देश ‘वन-चाइना पॉलिसी’ का दृढ़ता से समर्थन करता है और ताइवान, शिंजियांग और हांगकांग से संबंधित मुद्दों पर बीजिंग की स्थिति का भी समर्थन करता है।
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